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. . सज्जन साधु पुरुषों के सत्संग में, देश विदेश की लोकोत्तर घटनाओं के दर्शन में, परोपकार करने में, और निष्पाप मनोविनोद की साधना में उत्तम पुरुषों का समय सदा बीतता रहता है।
चरित नायक श्री चन्द्रकुमार अपने अभिन्न मित्र श्री गुणचन्द्रकुमार के साथ हमेशा की तरह रथ में बैठ कर क्रीडा के लिये पूर्व की ओर एक दिन सायंकाल के समय निकल पड़ा। उनके माता पिता अपने योग्य पुत्र के इस प्रकार के हमेशा के कार्य क्रम को जानते थे अतः चिंतासे मुक्त रहा करते थे।