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॥ अर्हम् ॥
॥ विजयप्रशस्तिसार ॥
कर्ता
आचार्योपासकः-मुनि विद्याविजय ।
लखनऊ निवासी बाबू दीपचन्दजी सुन्दरलालजी, श्रीमाल की सहायता से शाह-हर्षचन्द्र भूराभाई सम्पादक 'जैनशासन' ने प्रकाशित किया ।
वीर सं० २४३६
सन् १६१२
श्री दामोदर प्रेस लखनऊ में एस. एन. शर्मा द्वारा मुद्रित ।
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