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________________ २१५ (४१६) 1 दोहिं चिय आगलिओ जं बद्धो तेण बालो त्ति ।। मरणं पाणच्चाओ पाणा ऊसासमाइया भणिया । 3 ताणं चाओ मरणं सुण एण्हिं तं कहिजतं ।। कललावत्थासु मओ अवत्त-भावे वि कत्थइ विलीणो । 5 गलिओ पेसी-समए गब्भे बयाण णारीण ।। पिंडी-मेत्तो कत्थइ गलिओ खारेण गब्भ-वासाओ । 7 अट्ठिय-बंधे वि मओ अणट्ठि-बंधे वि गलिओ हं ।। खर-खार-मूल-डड्ढो पंसुलि-समणी-कुमारि-रंडाणं । 9 गलिओ लोहिय-वाहो बहुसो हं णवर संसारे ।। कत्थइ भएण गलिओ कत्थइ आयास-खेय-वियणत्तो । 11 कत्थइ जणणीएँ कहं फालिय-पोट्टाए गय-चित्तो ।। कत्थइ दर-णीहरिओ जणणी-जोणीऍ हं मुओ बहुसो । 13 कत्थइ णीहरिओ च्चिय गुरु-वियणा-वेंभलो गलिओ ।। कत्थइ जणणीऍ अहं ठइय-मुहो थण-मुहेण वहिओ हं । 15 कत्थइ पक्खित्तो च्चिय सव-सयणे जीवमाणो वि ।। जायावहारिणीए कत्थइ हरिओ मि छट्ठ-दियहम्मि । 17 कत्थइ बलि च्चिय कओ जोइणि-समयम्मि जणणीए ।। कत्थइ पूयण-गहिओ कत्थइ सउणी-गहेण गहिओ हं । 19 कत्थइ बिडाल-गहिओ हओ मि बालग्गह-गहेण ।। कत्थइ खासेण मओ कत्थइ सोसेण सोसिय-सरीरो । 21 कत्थइ जरेण वहिओ कत्थइ उयरेण भग्गो हं ।। कत्थइ कुटेण अहं सडिओ सव्वेसु चेय अंगेसु । ___1) J आगणिओ. 2) J ऊसासमातिआ P ओसासमाईया. 3) P ताण च्चाओ. 4) P कललावत्तासु, J अब्भुतभावे. 6) P पिंडो मित्तो. 7) P अणिट्ठबंध वि. 8) P खीरमूलदड्ढो पंसुणि. 10) P आयस, J भेअवियणत्तो ।. 11) J जणणीए हं. 13) J गुरुवेअण, P बिब्भलो. 15) J सयणो. 18) P सउणिग्गहेण. 19) P विरालि for बिडाल, P om. हओ. 20) P कत्थइ रोसेण गओ.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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