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________________ 7 १०८ 1 सो इंदभूइ मरिउं दासत्तं वच्च पुरसो || जो उण चाई विणओणओ य चारित्त-गुण-सयाइण्णो । 3 सो जण - सय - सम्माओ महिड्डिओ होइ लोगम्मि || जो वाहेइ णिसंसो छाउव्वायं च दुक्खियं जीयं । 5 सीयंत -‍ -गत्त-संधिं गोदम सो पंगुलो होइ ।। 9 महु - घाय-अ - अग्गि- दाहोदहणं जो कुणइ कस्सइ जियस्स । बालाराम-विणासो कुट्ठी सो जायए पुरिसो || गो-महिस-पसुं करहं अइभारारोवणेण पीडेइ । एएण णवरि पावेण गोदमा सो भवे खुज्जो || उच्छिट्ठमसुंदरयं पूई जो देइ अण्ण-पाणं तु । साहूण जाणमाणो भुत्तं पि ण जीरए तस्स ।। - हत्थदाएँ धुत्तो कूड-तुला-कूड-माणववहरइ णियडि-बहुलो तस्सेगं हीरए अंगं ।। कुक्कुड - तित्तिर-लावे सूयर - हरिणे य अहव सव्व-जिए । धारेइ णिच्च-कालं णिच्चुव्विग्गो हवइ भीरु ।। - भंडेणं । लहु-ह 17 धम्मो ण य जीवो ण य पर लोगो त्ति णेय कोइ रिसी । इय जो जंपइ मूढो तस्स थिरो होइ संसारो ।। धम्मो वि अत्थि लोए अत्थि अधम्मो वि अत्थि सव्वण्णू । 19 रिसिणो वि अत्थि एवं जो मण्णइ सो ण संसारी ॥ सम्मत्त-णाण-दंसण-ति-गुणेहिँ इमेहिँ भूसिय- सरीरो । तरिऊण भव-समुद्दं सिद्धि - पुरिं पावए अइरा ।। (३५७) एवं च साहिए भगवया तियसिंद-सुरिंद-परिवंदिय-चलणारविंद 11 13 15 (३५६) 21 1) J इंदभूती. 2) P उण चादी विणओ य, J विणओणतो. 3) J उण for जण, P सयसमइओ, J लोयंमि. 5) J सीतंत, P संधी गोयम. 6) J घात, P को for जो, P कस्स वि. 8) P पसू करभं. 9) P गोयम एसो. 10) P उच्चिट्ठम०, J पूर्ति, P पुव्वं for पूइं . P भत्त for अण्ण. 11) P पिन जिज्जए. 12) P हत्थयाइ धत्तो. 14 ) P तित्तिलावे, P अहइ for अह. 15) P णिच्चं, P भवइ for हवइ. 16) P जीवो नयरलोगो. 18) P अहम्मो . 21 ) P सिद्धिपुरी.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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