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________________ ११६ (२३२) 1 सो णत्थि कोइ जीवो भममाणो जो ण कम्मजोएण । ईसा-मच्छर-कुविओ जो ण य सत्तुत्तणं पत्तो ।। 3 सो णत्थि कोइ जीवो चउगइ-संसार-सागरे भीमे । णह-दंत-दलिय-देहो जो य ण आहारिओ बहुसो ।। 5 सो च्चिय सत्तू सो चेय बंधवो होइ कम्म-जोएणं । सो च्चिय राया सो चेय भिच्छुओ होइ पावेणं ।। 7 ता पत्तियासु एयं ण एत्थ बंधू ण चेय कोइ अरी । णिय-चरिय-जाय-कम्म पत्तिय सत्तुं च मित्तं च ।। 9 इय जाणिउं अणिच्चं संजोय-विओय-रज्ज-बंधुयणं । वेरग्ग-मग्ग-लग्गो को वा ण करेज परलोयं ।। 11 एत्थंतरम्मि पुच्छिओ विमलबंधुणा मंतिणा । 'भगवं, एस उण को वुत्तंतो वासहरयम्मि जाओ जेण समुप्पण्ण-वेरग्ग-मग्ग-लग्गो इमं लिंग पडिवण्णो सि' 13 त्ति । साहियं च भगवया सयलं पयंग-पईव-समुग्गय-वुत्तत्तं । तओ तं च दद्रूण मए चिंतियं । 'अहो, धिरत्थु संसार-वासस्स जं एसो पयंगो रक्खिज्जमाणो 15 विवण्णो । उवाओ त्ति समुग्गए पक्खित्तो, तहिं चेव अवाओ जाओ । तं जहा। जइ सेण-तासिओ सो सरणत्थी मग्गए बिलं ससओ । 17 अयगर-मुहं पविट्ठो को मल्लो हय-कयंतस्स ।। ओसह-जोएहिँ समं णाणाविह-मंत-आहुइ-सएहिं । 19 ण य रक्खिऊण तीरइ मरण-वसं उवगओ पुरिसो ।। एयं णाऊण इमं अणिच्च-भावेण भावियं लोयं । 21 तम्हा करेमि धम्मं को साहारो त्थ रज्जेणं ।। ___ एवं च मज्झ वेरग्ग-मग्गावडियस्स तहा-कम्मक्खओवसमेणं अण्ण-जम्म ___1) P जं for जो. 2) P inter: य and ण. 3) P जोइ for कोइ, J सायरे. 4) Pinter. न and य. 6) P सो च्चेय भिच्चो अह होइ. 8) P सत्तू य मित्तं. 9) P जाणियं. 10) P लग्गमग्गो. 11) J वुण for उण, P inter. को & उण, P वुत्तंतो सहरम्मि य जाओ. 12) P मग्गो for मग्गलग्गो, P om. सि. 13) J प्पईव, P समुयय. 14) P एस पयंगो. 15) Jadds वि before विवण्णो, J चेअ. 16) J सयणत्थी. 20) P लोग. 21) P बंधं for धम्मं, P inter: साहारो and को, P व for त्थ.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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