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________________ (६७) 1 ण य मित्तं ण य सत्तू ण बंधवो सामि-भिच्चो वा ।। णिययाणुभाव-सरिसं सुहमसुहं जं कयं पुरा कम्मं । 3 तं वेदति अहण्णा जीवा एएण मोहेण ।। बद्धति तत्थ वि पुणो तेसिं चिय कारणेण मूढ-मणा । 5 भव-सय-सहस्स-भोजं पावं पावाए बुद्धीए ।। अहवा । जह वालुयाए बाला पुलिणे कीलंति अलिय-कय-घरया । 7 अलिय-वियप्पिय-माया-पिय-पुत्त-परंपरा-मूढा ।। कलहं करेंति ते च्चिय भुजंति पुणो घराघरि जंति । 9 बाल व्व जाण बाला जीवा संसार-पुलिणम्मि ।। तओ कुमार कुवलयचंद, एयम्मि एरिसे असारे संसार-वासे पुण कोह-माण11 माया-लोह-मोह-मूढ-माणसेहिं अम्हेहिं चेय जं समणुभूयं तं तुमं तुरंगावहरण पेरंतं एगमणो साहिज्जंतं णिसामेहि त्ति । 13 (६७) अत्थि बहु-जण्णवाड-जूय-संकुलो अणवरय-होम-धूम-धूसर गयणंगणो महिसि-वंद्र-सय-संचरंत-कसिण-च्छवी-गो-सहस्स-वियरंत15 धवलायबिर-पेरतो णील-तण-घण-सास-संपया-पम्हलो लोयण-जुयलं पिव पुहई-महिलाए वच्छो णाम जणवओ । जत्थ य 17 पवण-पहल्लिर-पुंडुच्छु-पत्त-सिलिसिलिय-सद्द-वित्तत्थं । पसरइ रण्णुद्देसं मय-जूहं पुण्ण-तरलच्छं ।। 19 पुण्ण-तरलच्छ-दसण-णिय-दइया-सभरत-णयण-जुओ । अच्छइ लेप्प-मओ विय सुण्ण-मणो जत्थ पहिययणो ।। 21 पहिययण-दीण-पुलयण-विम्हय-रस-पम्हसंत-कायव्वो । अच्छइ पामरि-सत्थो चल-णिच्चल-धरिय-णयण-जुओ ।। ___1) J सत्तुं. 3) P वेयंती अन्ने जीवा. 4) P बंधंति. 6) P बाले, J अणियकयघरए. 7) J पिदि for पिय. 8) P भंजंति, P घरि घरि जंतिं. 10) J बालो व्व, P संसारे. 11) P तुरंगमापहरण. 12) J णिसाहेमि. 13) P जन्नवाडुच्छुआसंकुलो. 14) P वियलंत. 15) J धवलायंपिर P धवलायंचिर, J बहलो for पम्हलो, J जुवलं. 16) P पुहइ, J वच्छा P वच्छ, Jom. य. 17) J पुण्णुच्छु, P सिलिसिय. 18) P पइसइ, P चुन्न for पुण्ण. 19) P चुन्न for पुण्ण. 20) P सुन्नजणो. 21) P पुलइय. 22) J पामरी.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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