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________________ (४८) 1 होइ कुमारो चक्की चक्कि-समो वा य राय' त्ति ।। (४८) अह णरवइणा भणियं 'अहो महासंवच्छर, काओ रासीओ के वा 3 रासि-गुण त्ति, जं भणसि एरिसे रासि-गुणम्मि जाओ कुमारो' त्ति । भणियं संवच्छरेणं 'देव, रासीओ तं जहा । मेसो विसो मिहणो कक्कडो सिंघो कण्णो 5 तुलो विच्छिओ धणू मगरो कुंभो मीणो त्ति । एयाओ रासीओ, संपयं एयासु जायस्स गुणे पुरिसस्स महिलाए वा णिसामेह । मेसस्स ता वदंते । 7 णिच्चं जो रोग-भागी णरवइ-सयणे पूइओ चक्खु-लोलो, धम्मत्थे उज्जमतो सहियण-वलिओ उरु-जंघो कयण्णू । 9 सूरो जो चंड-कम्मे पुणरवि मउओ वल्लहो कामिणीण, जेट्ठो सो भाउयाणं जल-णिचय-महा-भीरुओ मेस-जाओ ।। 11 अट्ठारस-पणुवीसो चुक्को सो कह वि मरइ सय-वरिसो । अंगार-चोद्दसीए कित्तिय तह अड्ड-रत्तम्मि ।। १ ।। 13 भोगी अत्थस्स दाया पिहल-गल-महा-गंड-वासो सुमित्तो, दक्खो सच्चो सुई जो सललिय-गमणो दुट्ठ-पुत्तो कलत्तो । 15 तेयसी भिच्च-जुत्तो पर-जुवइ-महाराग-रत्तो गुरूण, गंडे खंधे व्व चिण्हं कुजण-जण-पिओ कंठ-रोगी विसम्मि ।। 17 चुक्को चउप्पयाओ पणुवीसो मरइ सो सयं पत्तो । मग्गसिर-पहर-सेसे बुह-रोहिणि पुण्ण-खेत्तम्मि ।। २ ।। 19 मिट्ठण्णू चक्खु-लोलो पडिवयण-सहो मेहणासत्त-चित्तो, कारुण्णो कण्ण-वाही जण-णयण-हरो मज्झिमो कित्ति-भागी। 21 गंधव्वे पट्ट-जुत्तो जुवइ-जण-कए भट्ठ-छाओ धणड्डो, गोरो जो दीहरंगो गुण-सय-कलिओ मेहणे रासि-जाओ ।। 1) J चक्कीसमो जहा राय, P महाराय for राय. 4) P संवत्सरेण. 5) P विच्छिओ, P त्ति । अवि य । एसो उ रासीओ. 6) P जा for ता. 8) P धम्मत्थिं, J सहिणयवलिओ P महिणवचलिओ. 9) J कम्मो. 10) P जो for सो. 12) J ।। छ ।। P ।। १ ।।. 14) P लद्ध for दुट्ठ. 15) P तेजस्सी, P जुयइ. 16) J कण्णे खद्धे व for गंडे etc., P विंध for चिण्हं. 19) P मिट्ठण्णो, J मेहुणासत्तु. 20) P नयणधरो. 21) J कूए for जुत्तो, P भट्ट, JP च्छाओ.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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