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________________ १२० (९४) 1 किर भाउणो विवाहे णव-रंगय-चीर-बद्ध-चिंधालो । ___परितुट्ठो णच्चिस्सं अप्फोडण-सद्द-दुल्ललिओ ।। 3 जाव मए च्चिय एयं कुविएण व पेच्छ कय महकम्म । अण्णहयँ चिंतियं मे घडियं अण्णाए घडणाए ।। 5 जइ वि पडामि समुद्दे गिरि-टके वा विसामि पायाले । जलणे व्व समारुहिमो तहा वि सुद्धी महं णत्थि ।। 7 कह गोसे च्चिय पढमं कस्स व हलियस्स णवर वयणमहं । दंसेहामि अहण्णो कय-भइणी-भाइ-णिहणं तो ।। 9 ता णवरं मह जुत्तं एवं चिय एत्थ पत्त-कालं तु । एएसिं चेय चियाणलम्मि अप्पा विछोड् जे ।। 11 इय जाव विलविए च्चिय ता दूसह-कलुण-सद्द-विद्दाणो । जल-ओदारं दाउं अवर-समुदं गओ चंदो ।। 13 सोऊण रुण्ण-सई महिलत्तण-थोय-मउय-हिययाए । बाह-जलं-थेवा इव तारा वियलंति रयणीए ।। 15 ताव य कोवायंबो दुज्जय-पडिवक्ख-पडिहय-पयावो । पाडिय-चंडयर-करो उइओ सूरो णरवइ व्व ।। 17 (९४) तओ मए इमाए पुण वेलाए णाइदूरमुग्गए कमलायर-पिय-बंधवे __चक्काय-कामिणी-हियय-हरिसुप्पायए सूरे समाससिया मुच्छाए तओ भणिओ 19 जणेण । 'मा एवं विलवसु, जइ वि मया इमे' त्ति । तह वि पच्छायाव-परद्धो जलणं पविसामि त्ति कय-णिच्छओ इमो चंडसोमो दीण-विमणो मरण-कय21 ववसाओ गुरु-पाव-पहर-परद्धो इव णिकतो गामाओ, गओ मसाण-भूमि, रइया य महंती महा-दारुएहिं चिया । तत्थ य तिल-घय-कप्पास-कुसुभ___1) J चिद्धालो. 2) J णच्चीसं, P उप्फोडण. 3) Jom. कयं, P पेच्छह एथं कयंतेण । हा अण्णह चिंतिअं घडाविअं अण्णाए (the page has its ink rubbed very much). 5) P विसाम for विसामि. 6) P महं नत्थी. 7) P गोस, P वयणमुहं. 9) J मह जत्तं, P कालंमि ।. 10) P एतेसिं चेव वियालणंमि, J विछोडु P विछोढुं. 11) P जाव विलवउ च्चिय ता. 12) J जलओयारं. 13) P थोव. 14) P जलत्थेवा, J इय for इव. 15) P दुजण for दुज्जय. 17) J पुण for मए. 18) P पहरिसु for हरिसु, P समासासिओ पुच्छिओ । तओ, P भणियं for भणिओ. 19) P विलवेसु जीविया इमे, J मेत्ती for इमे त्ति, P om. तह वि पच्छायाव.....पविसामि त्ति. 21) J इय णिक्खंतो, Jom. गओ, P भूमी for भूमि. 22) P वारेह for महंती.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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