________________
शादी कुमार के साथ चक्रायुध के डर से सामान्य रूप में की । कन्यादान में हाथी घोड़े वस्त्रालंकार के साथ 'शत्रुमर्दनी' विद्या दी । अब वह दोनों प्रियाओं के साथ खेचरियों के द्वारा विरचित भवनों में, वनों में क्रीड़ा करते हुए समय व्यतीत करता था शाश्वत तीर्थो की यात्रा भी करता था ।
एकबार जयानंद राजा के पास पवनवेग के साथ अन्य आठ विद्याधर राजाओं ने आकर प्रणामकर कहा हमारे एक-एक राजाकी चार-चार अर्थात् आठों की ३२ कन्याएँ हैं । उन बत्तीसों ने एक निर्णय किया कि हम एक ही पति से शादी करेंगी। एक बार चक्रायुध राजा के दूत ने आकर अपने पुत्रों के लिए कन्याओं की याचना की तब हमने कहा "जन्मकुंडली का मिलान करवाकर, हम आकर विज्ञप्ति करेंगे। फिर हमने एकत्र होकर विचार किया । एक को देंगे तो दूसरे कलह करेंगे। न दें, तो जीवितव्य का संकट ? इस पर विचार कर रहे थे, तभी वहाँ एक निमित्तज्ञ आया । उससे पूछा, तब उसने कहा " तुम्हारी पुत्रियों का स्वामी योगिनियों को हराकर वज्रवेग को और वज्रमुख देव से चंद्रमौलि को छुड़वायेगा वह होगा । चक्रायुध का राज्य अल्प समय का है । उसका पराभव शत्रु से होगा । मुख्य शत्रु भी वही है।" इतना सुनकर, आश्वस्त होकर, हम यहाँ आये हैं । आप इन कन्याओं से पाणिग्रहण करने की अनुमति दीजिए । हम गुप्त रूप से कन्याओं का विवाह करवाना चाहते हैं । जयानंद ने कहा जब तक चक्रायुध का भय दूर न हो तब तक विवाह में कोई रस नहीं । आप पधारे।" पवनवेग ने उन आठों के कान में कहा " चक्रायुध से युद्ध हो तब तुम सब आ जाना।" वे "हाँ" कहकर चले गये ।
44
जयानंद ने सिद्धकूट पर आकर विद्याएँ साध लीं । एक
१६८