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कुमार से कहा । पत्नियों ने कहा "देखा, विश्वास किया होता तो आज हमारा क्या होता?'' कुमार ने आदमियों से उसे लाने को कहा-वे ले आये। अभी वह जीवित था । औषधि जल से कुमार ने उसे स्वस्थ कर दिया । इधर राजा ने अपने आदमियों को खोज़ के लिए भेजा उन्होंने आकर घटना सुनायी तो राजा स्तब्ध रह गया । उसने सोचा 'कुमार को आज ही खत्म करना है। ऐसा निर्णयकर, उसने अपने सैनिकों को कुमार को बांधकर लाने के लिए कहा सैनिक आये। कुमार के सैनिकों ने उन सैनिकों को मार भगाया । कोलाहल सुनकर कुमार की पत्नियों ने कहा "यह कोलाहल कैसा है ?" पहरेदार ने आकर समाचार दिये, कि राजाजी ने आपको पकड़कर लाने के लिए सैनिक भेजे थे। उनको हमारे सैनिकों ने भगा दिये । अब राजा स्वयं आप से युद्ध करने की तैयारी कर रहे हैं। सेनापति आदि, सेना की युद्ध की तैयारी देख मंत्रियों ने राजा के पास आकर पूछा "यह क्या है ?" तब राजा ने सिंह के द्वारा कहा हुआ वृत्तांत मंत्रियों से कहा । मंत्रियों ने कहा "खल पुरुषों पर विश्वास आपने कैसे किया? वामन रूप में राजकुमारों को बंधन में डालनेवाला क्या चंडाल हो सकता है? आप विचारें। यह आपके लिए भी राजकुमारों जैसी स्थिति बनायगा तब आपकी इज्जत रहेगी या जायगी? इस पर भी आप सोचें । आप हमारा और प्रजा का हित चाहते हैं तो इस संदर्भ से दूर हो जाय" "तब राजा ने कहा" "तो आप उसके पास जाकर कुलादिकी पृच्छा करके आओ ।" मंत्रियों ने कुमार के पास आकर पूछा, तो कुमार ने कहा "मेरा कुल संग्राम में जाना जा सकता है । राजा, राजा का सैन्य और सामने मैं अकेला । मेरी दो भुजाएँ मेरे शस्त्र ।" मंत्रियों ने राजा को कहा । राजा दुविधा में पड़ा । 'क्या करूं? यह तैयारी रोक दूं, तो इज्जत जाती है। युद्ध में विजय की कोई संभावना नहीं।' मंत्रियों ने कहा