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शिकारी की तरह उसे घेर लिया। कुंभकर्ण, के 'प्रस्वापन' अस्त्र का जवाब सुग्रीव ने 'प्रबोधिनी' फेंक कर दिया। वानर सेना ने कुछ ही समय पश्चात् उसे सारथी, रथ व अश्वों से रहित कर दिया व वह भूमि पर मुद्गर से सुग्रीव से लड़ने लगा। अब सुग्रीव ने आकाश में उड़कर भारी शिला कुंभकर्ण के दे मारी, कुंभकर्ण ने उस शिला को मुद्गर से चकनाचूर कर दिया। अब सुग्रीव ने तडित दंडास्त्र फेंका। कुंभकर्ण ने उससे बचने के अनेक उपाय किए पर वह न बच सका एवं पृथ्वी पर गिर पड़ा। 403
कुंभकर्ण के मूर्छित होने के समाचार से तुरन्त इन्द्रजीत युद्ध क्षेत्र में आया। उसे देखते ही वानर सेना छूमंतर हो गई वह गर्जना करते हुए चिल्लाया- हनुमान, सुग्रीव, राम व लक्ष्मण कहाँ है । कुछ ही क्षणों में सुग्रीव व भामंडल नागपाश में बाँध दिए गए। 04 इधर जब कुंभकर्ण को होश आया तो उसने एक ही गदा में हनुमान को मूर्छित कर दिया। 405 मूर्छित हनुमान को कुंभकर्ण जब बगल में दबाकर जा रहा था तब अंगद उससे भिड़ गया। कुंभकर्ण के हाथ उठाते ही हनुमान निकल गए। भामंडल व सुग्रीव को छुड़ाने जब विभीषण पहुँचे तो इन्द्रजीत व मेघवाहन चाचा की मर्यादा का ख्याल कर वहाँ से चले गए। सुग्रीव व भामंडल युद्ध में जहाँ नागपाश से बंधे हुए पड़े थे वहाँ राम व लक्ष्मण आए। राम के सुवर्णकुमार देव का स्मरण करने से 407 तुरंत देव ने आकर उन्हें “निनादा'' विद्या, मूसल, राय व हल दिए। लक्ष्मण को गारुडी विद्या, विधुतबदना गदा एवं रथ दिया। वारुण,
आनेय, वायव्य आदि अनेक शस्त्र भी दिए। 408 गरुड पर बैठे लक्ष्मण को देखते ही सुग्रीव व भामंडल के पाश से नाग भाग गए एवं वे दोनों नागपाश से मुक्त हो गए। इस क्रोध से राम की सेना में जयजय कार होने लगी 409"।
___ (३) लक्ष्मण का युद्धभूमि में अचेत हो जाना : प्रात:काल होते ही जब युद्ध प्रारंभ हुआ तो राक्षस एवं वानर दोनों ही एक-दूसरे को नष्ट करने पर तुल गए। सुग्रीवादि वीरों की युद्धकला के समक्ष राक्षस भागने लगे। 410 राक्षसों का विनाश देख रावण युद्ध में उतर गया। रावण को देखते ही राम उसके सम्मुख जाने लगे तभी विभीषण ने आकर राम व रावण दोनों को रोक दिया। 17 विभीषण को देखकर रावण ने कहा- हे विभीषण ! तू मेरे मुख का ग्रास है। तू राम-लक्ष्मण को छोड़ शीघ्र मेरे पास आ जा। आज राम व लक्ष्मण को मैं मारूँगा। तुझ पर स्नेह के कारण मैं तुझे यह वचन कह रहा हूँ। 412
विभीषण बोला- पर सीता को दे दो। सीता को देकर अगर तुम अपवाद मिटा दोगे तो मैं तुम्हारी शरण में आने को सहमत हूँ। 413 यह सुन रावण ने विभीषण पर बाण संधान किया। विभीषण भी इससे युद्ध करने लगा। इधर युद्धार्थ आते कुंभकर्ण, इन्द्रजीत, सिंहधन व घटोदर को क्रमवार राम, लक्ष्मण, नील व दुर्भेष ने रोक लिया। 4। इन्द्रजीत ने क्रोधित होकर लक्ष्मण
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