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उसी समय कंवृद्वीपी राजा रत्नजटी ने दो देवताओं के साथ आकर राम को अश्वयुक्त रथ दिया 24 तथा सुगंधित वातावरण से गंध नामक रोगी पक्षी वृक्ष से नीचे उतरा। मुनि-दर्शन से उसे जाति-स्मरण हुआ तब वह मूर्छित हो गया। सीता के जल-सिंचन से जागृत हो वह साधुओं के चरणों में गिरा। 246 साधुकृपा से वह निरोग हो गया एवं उसके पंख, चोंच, पैर व संपूर्ण
अंग कांतिवान हो गए। मस्तक पर जटाओं के कारण उस पक्षी का नाम जटायु पड़ा। 247 राम ने उन महर्षियों से गीध के शांत होने का कारण पूछने पर सुगुप्त मुनि ने दंडक राजा का संपूर्ण वृत्तांत कह सुनाया। 248 गीध ने पूर्वभव सुना, तब वह पुनः मुनि-चरणों में गिरा। मुनि से धर्मोपदेश सुनकर गीध श्रावक बन गया। 249 मनि आकाश मार्ग से अन्यत्र चले गए तब उस दिव्य रथ में बैठकर सीता-राम व लक्ष्मण जटायु समेत वन में आगे रवाना हुए। 250
(ख) शंबूक वध एवं चंद्रनखा (शूर्पणखा ) प्रकरण :- खर एवं चंद्रनखा के दो पुत्र शंबूक व सुंदर पाताल लंका में रहते थे। 251 शंबूक एक बार चंद्रहास खड्ग के साधनार्थ दंडकारण्य में आया एवं क्रौंचखा नदी के तट पर बाँस में निवास कर सूर्यहास खड्ग को सिद्ध करने वाली विद्या की साधना को प्रारंभ किया। 252 अधिमुख होकर बारह वर्ष, चार माह व्यतीत करने पर सूर्यहास खड्ग आकाश मार्ग से उस जंगल में आया। 255 लक्ष्मण ने उस खड्ग को देखा तो ग्रहण किया व समीप के जाल वृक्ष को काट दिया। 25 शंबूक का सिर जमीन पर आ गिरा। लक्ष्मण ने आगे बढ़कर देखा कि शंबूक का घड़ सिर से लटक रहा था। 255 धिड्मामित्यात्मानं "कहते हुए लक्ष्मण सूर्यहास खड्ग लेकर राम के पास गए व संपूर्ण वृत्तांत कहा। 25* राम बोले-"
"असावसिः सूर्यहास : साधकोऽस्य त्वयाहतः। अस्य संभाव्यते नूनं काश्चिदुत्तर साधकः ॥" 257
इधर हर्षित चंद्रणखा उस जंगल में आई तो उसने शंबूक का सिर देखा। 258 शंबूक ! हा पुत्र शंबूक ! इस प्रकार कहती हुई वह लक्ष्मण के पद चिन्हों पर चलती हुई राम, लक्ष्मण व सीता के समीप पहँची। 259
शोक में भी कामातुर चंद्रणखा ने राम से परिणय हेतु निवेदन किया। 26 राम ने उत्तर दिया कि "सभार्योऽिहमभार्य भज लक्ष्मणम'' तब वह लक्ष्मण के पास गई, लक्ष्मण ने कहा कि- "राम मेरे पूज्य हैं, उनके पास पहुँची हुई तुम मेरे लिए पूज्य हो अत: मैं तुमसे विवाह नहीं करूंगा। 261 निराश चंद्रणखा घर गई एवं पति खर को यह सब समाचार कह सुनाए।"
(ग) खर-दूषण का आक्रमण :- अपना काम भी न बना एवं पुत्र भी मारा गया। अब क्रोधित होकर चंद्रणखा खर के पास आई व समाचार सुनाए। पुत्रवध का बदला लेने हेतु खर ने चौदह हजार विद्याधरों के साथ राम पर भारी आक्रमण कर दिया। 26. खर जब युद्ध के लिए आया तो राम ने
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