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________________ 72 73 को प्राप्त किया । ” उनकी शस्त्रकुशलता असीम थी। उनकी शस्त्र कुशलता एवं बाहुबल के कारण दशरथ स्वयं को देव एवं असुरों से अजेय मानता था । 74 (ऐ) वीरता की झलक : किशोरावस्था से ही राम की वीरता के लक्षण उनमें दिखने लगे थे। एक बार अर्धबर्बर देश के मयूरमाल नगर के म्लेच्छ राजा आतरंगतम ने जब जनक पर भयंकर आक्रमण किया तो दशरथ जनक की सहायतार्थ ससैन्य जाने को उद्यत हुए। 75 उस समय राम ने कहापिताजी, म्लेच्छों को छेदने की आज्ञा मुझे दीजिए। मेरी विजय के समाचार आपको शीघ्र ही मिल जाएँगे। " दशरथ ने उन्हें आज्ञा दे दी। तभी राम ससैन्य अपने भ्राताओं सहित म्लेच्छों से युद्धार्थ रवाना हुए। वहाँ जाकर युद्धभूमि में देखते ही देखते म्लेच्छों की सेना भाग गयी। " इसी वीरता से चमत्कृत हो जनक ने मन ही मन अपनी पुत्री सीता राम को देने का निश्चय किया । वस्तुतः राम की वीरता बाल्यकाल से ही लक्षित हो रही थी । (३) धनुष प्रकरण एवं राम सीता विवाह : 78 (अ) जनक की सहायतार्थ राम लक्ष्मण का गमन : पूर्व में हम बता चुके हैं कि जनक के सहायतार्थ राम व लक्ष्मण गए थे। ” राम ने जब म्लेच्छों के 81 जनक दाँत उखाड़ दिए तब उनकी वीरता को देख जनक अचंभित हो गए । ' राम की इस वीरता की प्रशंसा अपनी रानी के समक्ष भी करते हैं । 2 80 ::. 83 (आ) राम को सीता समर्पण का जनक का निर्णय जैन रामायण के अनुसार राम द्वारा म्लेच्छों से जनक को मुक्ति मिलते ही जनक ने सीता का ब्याह राम से कर देने का निश्चय कर लिया था । इधर जब चंद्रगति सीता को अपने पुत्र के लिये माँगता है तब जनक स्पष्ट कहते हैं कि मैं सीता को राम के लिए दे चुका हूँ। वे यहाँ तक कह उठते हैं कि कन्यादान एक बार ही होता है। 84 वस्तुतः जैन रामायण के अनुसार राम की किशोर वय में ही जनक ने सीता को मन से राम को दे दिया था । 85 (इ) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित का भामंडल - चंद्रगति विद्याधर प्रकरण : जैन रामायण में सीता विवाह से संबंधित यह प्रसंग इस प्रकार हैजनक द्वारा सीता को राम के लिए देने के निश्चय के उपरांत सीता की सुन्दरता को देखने के लिये नारद ने जनक के कन्यागृह में प्रवेश किया । " विकराल रुप नारद को देखकर सीता भयग्रस्त हो गई। तभी द्वारपालों ने दौड़कर नारद को पकड़ लिया। नारद उनसे छुड़ाकर वैताढ्य पर्वत पर पहुँच गए। 86 अपमान का बदला लेने हेतु नारद ने सीता का सुन्दर चित्र बनाकर भामंडल को दिखाया जिसे देखते ही वह व्याकुल हो गया। भामंडल की व्याकुलता को जानकर उसके पिता चंद्रगति ने नारद को बुलाया एवं संपूर्ण वृत्तांत जाना। 7 तत्काल चपलपति को जनक का हरण कर प्रस्तुत करने का आदेश चंद्रगति ने दिया । तदनुसार जनक को प्रातः ही चपलपति ने चंद्रगति के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। 73
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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