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(इ) राम जन्म की परिस्थितियाँ : एक दिन अपराजिता ने स्वप्न में हाथी, सिंह, चंद्र एवं सूर्य को देखा । यह स्वप्न बलदेव जन्म को सूचित करने वाला था । उस समय ब्रह्मलोक का कोई देव उसकी कोख में अवतीर्ण हुआ। इस प्रकार अपराजिता ने राम को जन्म दिया।
रामजन्म के अवसर पर दशरथ ने गरीबों को दान दिए। 7 नागरिकों ने बहुत बडा उत्सव आयोजित किया क्योंकि नगरजनों की खुशी दशरथ से भी अधिक थी । " उत्सव में नगरजन राजमहलों में दूर्वा, पुष्प, फलादि ले जा रहे थे, सभी स्थानों पर मधुर गीत गाए जा रहे थे । स्थान स्थान पर केसर छिडका जा रहा था एवं तोरण की पंक्तियाँ शोभायमान अन्य राजा
अयोध्या में जन्मोत्सव पर उपहारादि लेकर आ रहे थे। 60 राजा दशरथ ने उस समय जैन चैत्यों में अर्हन्तों की अष्टप्रकारी पूजा की। उस समय समस्त कैदियों को कारावास से मुक्त कर दिया । "
(ई) जन्मदिन :
अथापराजितान्येर्धुगजसिहेन्दुभास्करान् ।
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थीं ।
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स्वप्नेऽपश्यन्निशाशेषे बलजन्माभिसूचकान् ।
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उपर्युक्त लोकानुसार हेमचंद्र ने राम के जन्म की कोई तिथि या दिवस का निर्धारण नहीं किया है। एक दिन का प्रयोग कर हेमचंद्र ने निश्चित समय से किनारा ले लिया है।
( उ ) नामकरण : हेमचंद्र के अनुसार स्वयं दशरथ ने अपने पुत्रों का नामकरण किया। दशरथ की नजरों में लक्ष्मी का निवास कमल पुष्प हैं (जिसे पद्म भी कहते हैं ।) वही अतिसुन्दर होने से अपराजिता के पुत्र का नाम
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'पद्म" दिया। यही "पद्म" लोक में "राम" नाम से प्रसिद्ध हुआ । सुमित्रा के पुत्र का नाम दशरथ ने "नारायण" रखा जो लोक में "लक्ष्मण" नाम से विख्यात हुआ । 64 इसी प्रकार कैकेयी के पुत्र का नाम भरत एवं सुप्रभा के सुपुत्र का नाम शत्रुघ्न रखा गया।
(ऊ) बालक्रीडा : बाल्यकाल में राम-लक्ष्मण दशरथ की दो भुजाओं के तुल्य थे । दरबार में दशरथ की गोद को सुशोभित करते है नीला व पीला वस्त्र धारण किए हुए उन राम, लक्ष्मण के चलने मात्र से पृथ्वी काँप उठती थी। 7 समस्त कलाओं को उन्होंने शीघ्र ही सीख लिया। * बचपन में खेल-खेल में अपनी मुष्ठियों के प्रहार से पर्वतों को भी चूर-चूर कर देते थे। 69 कसरत शाला में धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हुए उन्हें देख सूर्य भी कंपित हो उठता था । शस्त्रकुशलता उनके लिए कौतुक मात्र थी। इस प्रकार राम व लक्ष्मण बाल्यावस्था में ही अतिपराक्रमी दिखते थे ।
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(ए) शिक्षा-दीक्षा : हेमचंद्राचार्य राम-लक्ष्मण की शिक्षा-दीक्षा पर साधारणतः मौन हैं। वे मात्र इतना ही संकेत देते हैं कि उन्होंने समस्त कलाओं
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