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(१) रावण-जन्म : शिक्षा एवं दिग्विजय
(अ) माता-पिता एवं जन्म : पाताललोक के राजा सुमाली की रानी प्रतिमति के गर्भ से पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम रत्नश्रवा था।' रत्नश्रवा जब विद्यासिद्धिरत था तभी एक विद्याधर कुमारी ने उसके समीप आकर प्रणय हेतु निवेदन किया। उस कुमारी का नाम कैकसी था। जो व्योमबिन्दु नामक कौतुक नगर के राजा की पुत्री थी। सुमाली-पुत्र रत्नश्रवा ने विधिपूर्वक केकसी से विवाह किया तथा पुष्पोतक नगर में रहता हुआ सुखोपभोग करने लगा। • एक रात केकसी ने सपने में भयंकर सिंह को अपने मुख में प्रवेश करते देखा।' पति से प्रातःकाल निवेदन करने पर रत्नश्रवा ने कहा- तुम्हारे स्वप्न का कारण-तुम स्वाभिमानी पुत्र को प्राप्त करोगी। गर्भयुक्त केकसी उस समय अहंभावयुक्त, शत्रुओं के प्रति कठोर भाव वाली, वाचाल आदि लक्षणों से युक्त नजर आने लगी।' समय पूर्ण होने पर कैकसी ने शत्रुओं के आसन को हिला देने वाले एवं बारह हजार वर्ष की आयु वाले पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम रत्नश्रवा ने दशमुख दिया।
जन्मते ही समीप पड़े हुए मणियों के हार को दशमुख ने खींचकर गले में डाल लिया जिससे उसका मुंह नव मणियों में प्रतिबिम्बित हुआ। इसी कारण पिता ने उसका नाम "दशमुख दिया। " उस समय ऋषियों ने भविष्यवाणी की, कि यह बालक प्रतिवासुदेव होगा। तत्पश्चात् केकसी से क्रमश: कुंभकर्ण, चंद्रनखा, एवं विभीषण ने जन्म लिया।" अर्थात् जैन रामायण के अनुसार रत्नश्रवा रावण के पिता एवं केकसी उसकी माता थी। रावण की वीरता के लक्षण गर्भ में ही दीखने प्रारंभ हो गये थे।
(ब) पूर्वभव :
जैनरामायण : हेमचंद्र ने त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, पर्व-७ के १०वें सर्ग में रावण के पूर्वभव का वृत्तांत दिया है। केवली मुनि कहते हैं कि रावण पूर्वभव में प्रभास नामक ब्राह्मणपुत्र था जिसके माता-पिता कुशध्वज एवं सावित्री थे। यही प्रभास इससे पूर्व मृणालकंद पतन में शंभू नामक राजा था जिसकी रानी का नाम हेमवती था। 13 इस शंभू राजा ने श्रीभूति की रुपवती पुत्री वेगवती को वलात्कार पूर्वक भोगकर उसके पिता श्रीभूति का वध कर दिया। ॥ वेगवती ने उस समय शंभू राजा (अगले जन्म का रावण) को शाप दिया कि मैं अगले जन्म में तेरे वध के लिये अवतरित होऊँगी। वही श्रीभूति पुत्री वेगवती अगले जन्म में जनक पुत्री सीता हुई जो रावण की मौत का कारण बनी।
(स) बाल लीला एवं विद्याओं की सिद्धि : मेघवाहन रावण का पूर्वज था जिसका एक माणिकमय हार रत्नश्रवा के पास था। रावण का जन्म होने पर वह हार समीप ही पड़ा था जिसे शिशु रावण ने खींचकर अपने कंट
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