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१२९. त्रिशपुच. पर्व ७-१०/१८ १३०. इस राजनीतिशास्त्रीय ग्रंथ को जिनविजयजी हेमचंद्रकृत नहीं मानते। १३१. त्रिशपुच. पर्व ७ १०/१८ १३२. इस राजनीतिशास्त्रीय ग्रंथ को जिनविजयजी हेमचंद्रकृत नहीं मानते। १३३. इसी नाम का नाटक हेमचंद्र के शिष्य देवचंद्र ने रचा है। १३४. कलिकाल सर्वज्ञ ऐटले शुं। हीरालाल कापडिया (गुजराती) वर्ष ३, पृ. ५९ १३५. श्रीमद् हेमचंद्राचार्य नी कृतिओं (गुजराती) मोतीचंद्र कापडिया पृ. १९०
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