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पुष्करदत्त शर्मा लिखते हैं - "मंत्रीपद पर रहते हुए भी इन्होंने ११६३ ई. में कुमारपालचरित महाकाव्य की रचना की। इनकी अन्यान्य रचनाओं में त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, (काव्य) काव्यानुशासन (काव्यशास्त्र), देशीनाममाला, अभिज्ञानचिंतामणी, अनेकार्थसंग्रह, निधण्टुकोष (कोपग्रंथ), स्याद्वादमंजरी व जिनेन्द्रस्तोत्र (स्तोत्र), शब्दानुशासन व लिंगानुशासन नामक व्याकरण ग्रंथ तथा योगशास्त्र (दर्शन) प्रसिद्ध हैं।" हेमचंद्र को कुमारपाल ने सांस्कृतिक विषयों का मंत्री बनाया था। ११६३ ई. में कुमारपालचरित की रचना के अतिरिक्त इन्होंने निम्र कृतियों की रचनाएं की :
१. सिद्धहेमशब्दानुशासन प्रशस्ति, २. चालुक्य वंशोत्कीर्तन योनद्वयाश्रय
आगम प्रभाकर मुनि श्री पुण्यविजय जी द्वारा प्रस्तुत हेमचंद्राचार्य की कृतियों का निर्माण - संख्याटि निम्नानुसार हैं। १. सिद्धहेम लघुवृत्ति
६०००
श्लोक सिद्धहेम वृद्धवृत्ति
१८०००
श्लोक सिद्धहेम वृहन्न्यास
८४०००
श्लोक सिद्धहेम प्राकृतिवृत्ति
२२००
श्लोक लिङ्गानुशासन
३६८४
श्लोक उणादिगण विवरण
३२५०
श्लोक धातुपारायण विवरण
श्लोक अभिधान परिशिष्ट
१०००००
श्लोक अभिधान परिशिष्ट
२०४
श्लोक अनेकार्थ कोश
१८२८
श्लोक निघंटु कोश
श्लोक १२. देशीनाममाला
३५००
श्लोक काव्यानुशासन
६८००
श्लोक १४. छन्दोनुशासन
३०००
श्लोक संस्कृत द्वयाश्रय
२८२८
श्लोक १६. प्राकृत द्वयाश्रय
१५००
श्लोक १७. प्रमाण मीमांसा (अपूर्ण।
श्लोक १८. वेदांकुश
१०००
श्लोक १९. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित ३२०००
श्लोक २०. परिशिष्ट पर्व
३५००
श्लोक २१. योगशास्त्र स्वोपज्ञवृत्ति
१२७५०
श्लोक २२. वीतराग स्तोत्र
श्लोक अन्ययोग व्यवच्छेद द्वात्रिंशका
श्लोक २४. अयोगव्यवच्छेद द्वात्रिंरिका
श्लोक २५. महादेव स्तोत्र
श्लोक
११.
१३.
१५.
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