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कारण है ? राम ने भी मुनि से प्रश्न किया कि हे मुनि, शत्रुघ्न को मथुरा से इतना आग्रह क्यों है ? इस पर मुनि ने शत्रुघ्न के पूर्वभव की कथा उन्हें सुनाई। 464 पूर्वभव सुनाकर मुनियों ने वहाँ से विहार किया। अव शत्रुघ्न के मथुरा नगर के समीप एक गुफा में सप्त-ऋषियों ने निवास किया। सप्त-ऋषियों के प्रभाव से मथुरा की समस्त व्याधियाँ समाप्त हो गईं। शत्रुघ्न को सप्त-ऋषियों के प्रभाव की जानकारी होने पर वे कार्तिक पूर्णिमा को सप्त-ऋषियों के पास पहुँचे एवं भिक्षा-ग्रहण करने का निवेदन किया। परंतु उन्होंने उनका प्रस्ताव नहीं माना। तब शत्रुघ्न ने उन्हें कुछ काल और रहने का निवेदन किया उसे भी अस्वीकार करते हुए सप्तऋषियों ने शत्रुघ्न को आदेश दिया कि- हे शत्रुघ्न, तुम मथुरा नगर के घर-घर में अरिहतों के बिम्ब प्रतिष्ठित करो तो किसी प्रकार की व्याधि नहीं होगी। शत्रुघ्न ने नगर के चारों ओर सातों ऋषियों की रत्न युक्त प्रतिमाएँ स्थापित की जिससे मथुरा व्याधि-रहित हो गई। 465
इधर रत्नपुर के राजा रत्नरथ की रानी चंद्रमुखी से मनोरमा उत्पन्न हुई जिसे नारद ने लक्ष्मण को देने के लिए कहा। मनोरमा द्वारा नारद के अपमान से नारद लक्ष्मण के पास आए एवं चित्र के रुप में सुन्दर मनोरमा की प्रशंसा लक्ष्मण के सामने की। लक्ष्मण मनोरमा की सुन्दरता पर मोहित होकर राम सहित रत्नरथ राजा के पास पहुँचे तथा उससे युद्ध कर उसे हराया। हारे हुए रत्नरथ ने श्रीदामा व मनोरमा अपनी दोनों पुत्रियाँ क्रमश: राम एवं लक्ष्मण को सौंप दी। 466
अब वैताढ्य पर्वत की दक्षिण श्रेणी को जीतकर राम अयोध्या गए एवं पृथ्वी का पालन करने लगे।
__लक्ष्मण की सोलह हजार रानियाँ हुईं जिनमें, आठ पटरानियाँ थीं। उनके ढाई सौ पुत्र थे जिनमें आठ पुत्र पटरानियों से उत्पन्न हुए थे। राम की चार महारानियाँ थी जिनके नाम सीता, प्रभावती, रतिनिमा एवं श्रीदामा थे। 467
(ख) राम द्वारा सीता का परित्याग : सीता ने एक बार स्वप्न में दो शेरों को अपने मुख में प्रवेश करते देखा एवं यह वृत्तांत राम से कहा। राम ने कहा कि तुम दो पुत्रों की माता बनोगी परंतु यह स्वप्न आनंदप्रद नहीं लगता। कुछ काल व्यतीत होने पर सीता के गर्भ-धारण के लक्षण स्पष्ट हुए जिन्हें देखकर सपत्नियाँ इर्ष्या करने लगीं। एक दिन सपत्नियों ने सीता से रावण का परिचय पूछा तो सीता ने रावण के पैरों को चित्रित किया। तभी उधर से राम आए जिन्हें सपत्नियों ने कहा कि "आपकी प्रिय सीता अभी तक रावण को नहीं भूली है। राम पर इस बात का असर" न होता देखकर यह प्रकरण दासियों द्वारा सपत्नियों ने जनता तक पहुँचा दिया।
___ बसंतोत्सव आने पर राम व सीता महेन्द्रोदय उद्यान में गए एवं क्रिडायुक्त अरिहत पूजा के उत्सव को देखा। सीता को वहाँ अशुभ सगुन होने
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