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________________ प्राचीन जैन इतिहास। २८ बलभद्रको निगलकर मदृश्य कर दिया। फिर माताके पास पहुंचा और कहने लगा कि तु यहीं ठहरना । उसने अपनी विद्यासे रुक्मिणीका वैसा ही मनोहररूप बनाया और उसे विमानमें बैठाकर शीघ्र ही कृष्णके पास पहुंचा और कहने लगा मैं भापकी पत्नीको दरलिये जाता हूं, यदि सामर्थ्य हो तो छुड़ाओ। यह बात सुनकर यमके समान श्रीकृष्ण सब सेना लेकर भाये, परन्तु भीलका रूप धारण करनेवाले प्रद्युम्नने मायामयी नरेन्द्रजाल विद्य से सबको जीत लिया। इतने में नारद कृष्ण के समीप आये और कहने लगे कि अनेक विद्या. वाला यह भापका पुत्र है । उसी समय प्रद्युम्नने भी अपना रूप प्रकट कर श्रीकृष्णको प्रणाम किया। श्रीकृष्णने बड़े प्रेमसे उसका आलिंगन किया और हाथीपर चढ़कर नगरमें प्रवेश कराया। उन्होंने बहुत समय तक अपना जीवन सुख पूर्वक व्यतीत किया। (१० ) अंतमें गिरनार पर्वतसे मुक्ति लाम किया। पाठ ९। पांच पांडव । (१) हस्तिनापुरके राजा पांडु और धृतराष्ट्र दोनों भाई थे । राजा पांडु के कुन्ती पत्नीसे युधिष्ठिर, भीम और अर्जुनका जन्म हुआ तथा माद्रीसे नकुल भौर सहदेव उत्पन्न हुए थे, यह पांचों पांडुके पुत्र पांडव कहलाए । (२) धृतराष्ट्र के गांधारी नामक पत्नीसे दुर्योवन, दुःशाषन भादि १०० पुत्र उत्पन्न हुए जो कौरव नामसे प्रसिद्ध हुए ।
SR No.022685
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1939
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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