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________________ प्राचीन जैन इतिहास | ८६ पाठ २४ । सम्राट ऐल खारवेल । ( १ ) राजा खारवेलका जन्म सन् ई० से १९७ वर्ष पूर्व अशोक की मृत्युके ४० वर्ष पीछे हुआ था । इनके पिताका नाम चेतराज था । ये कलिंग देश के राजा थे 1 ( २ ) १३ वें वर्ष में आपको युवराज पद प्राप्त हुआ और सोलहवें वर्ष में ही पिताको मृत्युके पश्चात् ये राज्यशासन करने लगे । (३) पच्चीस वर्ष में आपका राज्याभिषेक हुआ और माफ राजा होगए । ( ४ ) राजा खारवेलने कलिंगकी प्राचीन राजधानी तोशालीको अपनी राजधानी बनाई। आपकी प्रजाकी संख्या ३५ लाख थी। ( ५ ) राज्य प्राप्त होने के दूसरे वर्षमे आपने दिग्विजय के लिए प्रयाण किया और पश्चिमके अनेक राजाओंको जीतकर उनपर अपना अधिकार जमाया। उन्होंने २ वर्षमें काश्यप, मुशिक, राष्ट्रिक और भोजक क्षत्रिय राजाओंको जीतकर उन्हें अपने माघीन बनाया । ( ६ ) दक्षिण भारत के पांड्य आदि देशों के राजाओंने अपने प' भेंट ' भेजकर मैत्री स्थापित की। दक्षिण भारतका प्रवलराजा शतकर्णि भी निर्बल होगया । इस तरह दक्षिण भारत में मी खारबेलका प्रताप परिपूर्ण होगया । (७) उत्तर भारतका प्रतापी राजा पुष्पमित्र मगधका
SR No.022685
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1939
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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