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दूसरा भाग।
हनुमानने विवाह किया । यह बात ध्यानमें रखना चाहिये कि पूर्वकालमें कन्याओंका विवाह पूर्ण युवावस्थामें हुआ करता था। वर्तमान कालके समान अबोध बालिकाएं नहीं ब्याही जाती थीं। जहां २ विवाहका प्रसङ्ग आया है पुराणकारोंने कन्याओंके यौवनकी प्रशंसामें बहुत कुछ लिखा है। साथमें पहिलेकी कन्याएं प्रायः अपने पतिको स्वयं चुनतीं थीं। इसके लिये यातो स्वयंवर किया जाता था या चित्रका उपयोग होता था। राजा सुग्रीवकी पुत्री पद्मरागाको जब कई राज-कमारोंके चित्र दिखलाये गये तब वह हनुमानके चित्रको देख कर उनके साथ विवाह करनेको स्वीकृत हुई । इसी तरह पद्मरागाका चित्र हनुमानने देख कर विवाह करना स्वीकार किया। - (१७) इन्द्रके साथ युद्ध में भी हनुमान राबणके साथ थे।
(१८) जब दिग्विजय कर रावण लौट रहा था तब हनुमानने अनंतवीर्य श्रुत केवलीके पाससे श्रावकके व्रत लिये ।
(नोट) हनुमानका इससे आगेका वर्णन प्रसंगानुसार दिया जायगा।
पाठ २६.
रामचन्द्र-लक्ष्मण । ( आठवें बलदेव और नारायण ) तथा उनके साथी अन्य
प्रसिद्ध पुरुषः(१) महाराज दशरथ राजा अरण्यके पुत्र ये । जब राजा अरण्यने पुत्र अनंतवीर्यके साथ दीक्षा ली तब राज्य-भार दशर