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________________ दुसरा भाग। पाठ २२. राक्षस वंश और वानर वंश । (१) विद्याधरोंकी जातिमें ही एक राक्षस वंश हुआ है। विद्याधरोंकी जाति मनुष्योंमें ही होती है । ऐसे मनुष्योंका एक पृथक् देश है और उनका विद्याएँ सिद्ध करनेका व्यापार है। . (२) विद्याधरोंमें निम्नलिखित घटनाके पूर्व इस प्रकार प्रसिद्ध पुरुष हुए हैं। नमि, रत्नमाली, रत्नवज्र, रत्नरथ, रत्नचित्र, चन्द्ररथ, वनजङ्घ, वज्रसेन, वज्रदंष्ट्र, वज्रध्वन, वनध्य, वज, सुवन, वज्रभृत् , वजाभ, वज्रबाहु, बज्राङ्क, वज्रसुंदर, वज्रास्य, वज्रपाणी, वज्रभानु, वज्रवान् , विद्युन्मुख, सुवक्र, विद्युदंष्ट्र, विद्युत्व, विद्युद्दाम, विद्युद्वेग, दृढ़रथ, अश्वधर्मा, अश्वाभ, अश्वध्वन, पद्मनाभि, पद्ममाली, पद्मरथ, सिंहनाति, मृगधर्मा, मेघास्त्र, सिंहप्रभु. सिंहकेतु, शशाङ्क, चन्द्राहूं, चन्द्रशेखर, इन्द्ररथ, चक्रधर्मा, चक्रायुध, चक्रध्वज, मणिगीव, मण्यङ्क, मणिभासुर, मणिरथ, मन्यास, विम्योष्ठ, लम्बिनाधार, रक्तोष्ठ, हरिचन्द्र, पूर्णचन्द्र, बलिन्द्र, चंद्रमा, चूड़, व्योमचंद्र, उड़यानन, एकचूड़, द्विचूड़, त्रिचूड़, वज्रचूड़, भूरिचूड़, अर्कचूड़, वह्निनटी, वह्नितेज, । ___(३) इस विद्याधर जातिमें भगवान् अनितनाथके समयमें पूर्णधन नामक प्रसिद्ध राजा हुआ । उसने तिलक नगरके स्वामी सुलोचन नामक राजाकी कन्या उत्पलमतीसे विवाह करना चाहा पर उसने नहीं दी। तब दोनोंमें युद्ध हुआ । पूर्णधनने सुलोचनको मारा । तब सुलोचनके पुत्र वनमें जाकर छिप रहे । इधर
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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