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प्राचीन जैन इतिहास | ११
(२) बलदेव सुदर्शन और नारायण पुरुषसिंह खगपुरके राजा सिंहसेनके पुत्र थे । बलदेवकी माताका नाम विजया देवी और नारायणकी माताका नाम अंबिका देवी था । आपका वंश इक्ष्वाकु था ।
(३) प्रति नारायण मधुक्रीड़ या मधुकैटभ (दोनों नाम थे) हस्तिनागपुर ( कुरुजांगल देश ) का राजा था । इसने तीन खंड पृथ्वी विजयार्द्ध पर्वतकी इस ओर तक - दाहिनी बाजू तक वश की थी और सम्पूर्ण राजाओं को आधीन किया था व चक्र रत्न प्राप्त किया था ।
( ४ ) नारायण पुरुषसिंह सप्त रत्न आदि संपत्ति के स्वामी हुए थे और बलभद्रको चार रत्न प्राप्त थे । इनकी संपत्तिका वर्णन परिशिष्ट 'क' में दिया गया है ।
(५) नारायणकी सोलह हजार रानियाँ थीं और प्रति नारायणकी आठ हजार ।
(६) मधुकैटभ (प्र० ना० ) ने पुरुषसिंह ( नारायण ) और सुदर्शन (बलभद्र) के वैभव व बल पराक्रमके हाल सुन कर दूत भेजा और कर व भेंट मांगी जिसे देनेसे नारायण बलभद्रने इनकार किया । तब दोनोंका परस्पर युद्ध हुआ । जिसमें नारायण पुरुष - सिंहने विजय प्राप्त की । नारायणको मारनेके लिये मधुकैटभ ने जो चक्र चलाया था वह नारायणकी प्रदक्षिणा दे उनके हाथमें जाकर ठहर गया फिर उसी चक्रक्रे नारायण द्वारा चलाने से प्रतिनारायण