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प्राचीन जैन इतिहास | १०
४३ गणधर
९०० पूर्व ज्ञानधारी
४०७०० शिक्षक मुनि ३६०० अवधिज्ञानधारी ४५०० केवली
७००० विक्रियारिद्धिके धारी ७००० मन:पर्यय ज्ञानी
२८०० वादी मुनि.
६६५४३)
६२४०० सुवृता आदि आर्थिका
२००००० श्रावक ४००००० श्राविका
(११) आयुमें एक मास बाकी रहने तक आपने आर्यखंड में विहार किया। फिर सम्मेद शिखरपर पधारे । शेष एक माहमे बच्चे हुए चार कर्मों का नाश कर मिती ज्येष्ठ सुदी चौथके दिन भाठसो नो मुनियों सहित मोक्ष पधारे । इन्द्रादि देवोंने निर्वाण
कल्याणकका उत्सव मनाया ।
पाठ ६. प्रतिनारायण - मधुक्रीड़-नारायण पुरुषसिंह, बलदेव - सुदर्शन |
( पांचवें प्रति नारायण, नारायण और बलभद्र ) (१) भगवान् धर्मनाथके समय में प्रतिनारायण मधु कैटभनारायण पुरुषसिंह और बलदेव सुदर्शन हुए थे ।