________________
१४६ दूसरा भाग। और काकाको शस्त्र डालते देख कुमारोंने भी शस्त्र डाल दिये और पिता तथा काकाके चरणोंपर पड़े । सीता यह देख पुंढरीकपुरको चली गई। दोनों कुमारोंका अयोध्या नगर प्रवेश बड़े मानंद उत्साहके साथ कराया गया।
पाठ ३४. सीताका अयोध्या पुनरागमन, अग्निपरीक्षा,
दीक्षा ग्रहण और स्वर्गवास । (१) जब सीताके युगल कुमार अयोध्यामें आ गये तब सुग्रीव, हनुमानादिने सीताको बुलाने के लिये रामसे कहा । रामने कहा कि जब सीताका त्याग किया गया है तव विना परीक्षाके अब उसका ग्रहण करना अनुचित है । सबोंने कहा कि आप जो उचित समझें वह परीक्षा कर लें; पर बुलावें अवश्य । तब रामने स्वीकार किया । ..
(६) सब आधीनस्थ राजा बुलाये गये और सीताको लेने हनुमान, मुग्रीवा दि गये । राजसभाका अधिवेशन हुआ ! सीता आई और रामके आगे खड़ी हो गई । समको सीमाके देखते ही क्रोध उत्पन्न हुआ कि यह बड़ी ढंठ स्त्री है, जो त्याग देने पर भी फिर आ गई है। सीताने रामका भाव समझ लिया और क्रोधमिश्रित विनयके साथ कहा कि आप बड़े निर्दयी हैं । मेरे पर अत्याचार करते हैं । लोक समूहके कहने पर आपने मुझ निरपराधाका त्याग किया है । आपको त्याग ही करना था तो