________________
दुसरा भाग।
- (५) श्रावणं सुदी १५ को श्रवण नक्षत्रमें रामचन्द्रके दोनों पुत्रोंका जन्म. महाराजा वज्रनंधके गृह पर हुआ । एकका नाम अनङ्ग लवण और दूसरेका मदनांकुश नाम रक्खा । ये दोनों बड़े सुन्दर और शक्तिवान् थे।
पाठ ३३. रामचंद्रके पुत्र अनङ्गलवण और मदनांकुश
तथापितापुत्रका युद्ध। (१) अनङ्ग-लवण और मदनांकुश कुमार--रामचंद्रके पुत्र थे । ये परम प्रतापी, तेजस्वी, सुन्दर और महा बलवान् चरमशरीरी थे।
(२) जब ये बड़े हुए तब पुंढरीक नगरीमें इनके भाग्योदयसे एक क्षुल्लकवतधारी श्रावकका शुभागमन हुआ। ये खण्ड वस्त्रके धारी, वैरागी और शान्त परिणामी थे । इनका नाम सिद्धार्थ था । ये दोनों कुमारों पर स्नेह करने लगे । और पढ़ाने लगे। इन्हींने कुमारोंको शस्त्रास्त्रकी भी शिक्षा दी । दूसरेके शस्त्रोंका निवारण और अपने शस्त्रों के प्रहारकी विधिमें कुमारोंको सिद्धार्थ (क्षुल्लक ने पारङ्गत कर दिया ।
(३) जब ये दोनों कुमार शिक्षित हो गये तब वनंघने अपनी कन्या शशिभूता और अन्य बत्तीस कन्याओंके साथ अनङ्गलवणका विवाह कर दिया तथा मदनांकुश कुमारके लिये पृथ्वीपुरके राजा पृथुके पास दृत भेजकर कहलाया कि तुम अपनी कन्या मदनांकुश कुमारको दो।