________________
दूमरा भाग।
१०३ ००० आर्यिका २००००० श्रावक ४००००० श्राविकाएं
(१२) आयुके एक मास शेष रहने तक आपने समस्त आर्यखंडमें विहार किया और विना इच्छाके दिव्य ध्वनि द्वारा धर्मोपदेश आदिसे प्राणियोंका हित किया ।
. (१३) जब आयु एक मास बाको रह गई तब दिव्य ध्वनि होना बंद हुआ और सम्मेदशिखर पर्वत पर इस एक माहमें शेष कर्मोका नाश कर आठ हजार छह सौ मुनियों सहित मोक्ष पधारे। इन्द्रोंने मोक्ष कल्याणक उत्सव मनाया । यह दिन आषाढ वदी अष्टमीका था।
पाठ २ । प्रतिनारायण मधु और नारायण धर्म
और बलदेव-स्वयंभू । (तीसरे बलदेव, नारायण और प्रतिनारायण) (१) द्वारिकापुरीके राजा रुद्रके यहाँ तीसरे नारायण धर्मका और तीसरे बलभद्र स्वयंभूका जन्म हुआ था । नारायण धर्मकी माताका नाम सुभद्रा और स्वयंभूकी माताका नाम पृथिवीदेवी था।
(२) दोनों भाइयों (.नारायण और बलभद्र ) में अनुपम प्रेम था।
(३) नगरपुरके राजा मधु जो कि प्रतिनारायण था और जिसने तीन खंड पृथ्वीको अपने आधीन किया था नागयणने