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प्राचीन जैन इतिहास।
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(६) पंद्रह लाख वर्ष तक आप कुमार अवस्थामें रहे । बादमें राज्य प्राप्त हुआ । आपका विवाह हुआ था ।
(७) आपने नीति पूर्वक तीस लाख वर्ष तक राज्य किया।
(८) एक दिन बादलोंको तितर वितर हो जाते देख आपको वैराग्य हुआ उसी समय लौकांतिक देवोंने आकर स्तुति की व इन्द्रादि अन्य देव आये । मिति माघ सुदी ४ को एक हजार राजाओं सहित दिक्षा धारण कर देवोंने तप कल्याणक उत्सव मनाया ! तब भगवानको मन:पर्यय ज्ञान उत्पन्न हुआ |
(९) एक दिन उपवास कर दूसरे दिन नंद नगरके राजा जय सिंह के यहां आपने आहार लिया तब देवोंने राजाके यहां पंचाश्चर्य किये।
(१०) तीन वर्ष तक ध्यान कर जिस वनमें दीक्षा ली थी उसी वनमें जंबूवृक्षके नीचे माघ सुदी ६ को चार घातिया कर्मोका नाश कर केवलज्ञान प्राप्त किया। समवशरण सभाकी देवोंने रचना की । और ज्ञान कल्याणक उत्सव मनाया। (११) आपकी सभामें इस प्रकार मनुष्य जातिके सभासद थे...
५५ मंदिर आदि गणधर ११०० पूर्व ज्ञानके धारी ३६५३० शिक्षक मुनि ४८०० अवधिज्ञानी ९००० विक्रियारिद्धिके धारी ५५०० केवलज्ञानी ५५०० मनःपर्ययज्ञानी ३६०० वादी मुनि
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