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________________ 46 शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास 82. उपाध्याय, वासुदेव; गुप्त साम्राज्य का इतिहास, खण्ड-1, पृ. 89 83. अल्तेकर, ए.एस.; ईकनॉमिक कण्डीशन, दि वाकाटक गुप्त एज, पृ. 357-58 84. मैती, एस.के.; ईकनॉमिक लाइफ ऑव नार्दर्न इण्डिया इन द गुप्त पिरियड, पृ. 120 85. रघुवंश, सर्ग 45-51 86. नन्दीसूत्र चूर्णि, पृ. 9; शाह, यू.पी.; स्टडीज इन जैन आर्ट, पृ. 110-11 87. दशवैकालिक चूर्णि, पृ. 204; आचारांग चूर्णि; पृ. 207 88. यादव, झिनकू; जैन धर्म की ऐतिहासिक रूपरेखा, पृ. 124-25 89. एपिग्राफिया इण्डिया, II, लेख सं. 38-40, पृ. 198 90. पू. नि. लेख सं. 39, पृ. 210-211 91. मत्तल, ब्रज की कलाओं का इतिहास, पृ. 70 92. राजकीय संग्रहालय मथुरा संख्या बी. 6, बी. 7 93. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 89, जे. 121 94. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 100 95. राजकीय संग्रहालय मथुरा संख्या बी. 1, 488,624 96. राजकीय संग्रहालय मथुरा संख्या बी. 1, 28 97. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 104 98. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 2 99. बाजपेयी, कृष्णदत्त; मथुरा, पृ. 20-21 100. पू. नि. पृ. 20-21 ; मीत्तल, ब्रज की कलाओं का इतिहास, पृ. 71 101. मीत्तल, पृ. नि. पृ. 11 102. बाजपेयी, कृष्णदत्त; पू. नि. पृ. 118
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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