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________________ 22 27. पू. नि. 28. पू. नि. 29. मीत्तल, प्रभुदयाल; ब्रज के धर्म - शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास सम्प्रदायों का इतिहास, पृ. 1 वृहद् इतिहास, भाग-4, पृ. 12 30. दोशी, बेचरदास; जैन साहित्य का 31. माथुर, विजयेन्द्र कुमार, पू. नि., 32. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे 117 T. 998 33. रायचौधरी, एच. सी.; अर्ली हिस्ट्री ऑव द वैष्णव सेक्ट, 34. पू. नि. पृ. 100 35. मज्झिम, II, पृ. 83 36. विविधतीर्थकल्प, पृ. 50 पृ. 99 37. बृहत भागवत् I, 1774 38. राजकीय संग्रहालय मथुरा सं. क्यू-2, बी. 71, बी. 72 39. कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑव इण्डिया, I, पू. 167 40. जैकोबी, हरमन; स्टडीज इन जैनिज्म, पृ. 20; मेहता, मोहन लाल; जैनधर्म-दर्शन, पृ. 348; दोशी, बेचरदास; पू. नि. पृ. 12-13 41. भगवती सूत्र, 14, 38 42. यादव, झिनकू; जैन धर्म की ऐतिहासिक रूपरेखा, पृ. 124-125 43. विमलसूरि; पउम चरिउ, II, कर्म विपाक, पृ. 85-105 (पं. सुखलालकृत हिन्दी अनुवाद सहित); मेहता, मोहनलाल; आउट लाइन्स ऑफ कर्म इन T. 10-13 जैनिज्म, 44. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 24 45. दोशी, बेचरदास; पू. नि. पृ. 19-20 46. पू. नि. पृ. 19-20; जे. सी. सिकदार; स्टडीज इन भगवती सूत्र, पृ. 600 47. समराइच्चकहा, 1, पृ. 58
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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