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________________ 20 शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास प्रथम शताब्दी के यूनानी लेखक प्लिनी ने भी मथुरा और केशवपुरा के बीच से बहने वाली ‘जोमनेस' (जमुना) का उल्लेख किया है। ___ एक अन्य यूनानी लेखक टालमी ने 'मोदुरा' (मथुरा) को देवताओं का नगर कहा हैं यूनानियों के अतिरिक्त अनेक चीनी यात्रियों ने भी मथुरा का वर्णन किया है। इनमें फाह्यान तथा ह्वेनसांग का नाम विशेष प्रमुख है। फाह्यान मथुरा में चौथी शताब्दी ई. में आया और एक मास तक निवास किया। उसने मथुरा की धार्मिक स्थिति का वर्णन किया है। ___ सातवीं शताब्दी में वेनसांग चीन से मथुरा आया था। उसने शूरसेन जनपद की राजधानी मथुरा की सीमा 5000 ली. बताया है और आमों की दो किस्मों के विषय में जानकारी देता है। उसके वर्णन से शूरसेन जनपद के क्षेत्रफल और धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है। ये दोनों चीनी यात्री बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर भारत आये थे। उनका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धार्मिक स्थलों की यात्रा करना तथा बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन एवं अनुवाद करना था। सन्दर्भ ग्रंथ सूची 1. महापुराण; पर्व 16, श्लोक 155 2. मनुस्मृति, 2, 19 3. मनुस्मृति, 2, 18 तथा 20 4. कनिंघम, ए.; ऐश्येंट ज्यॉग्राफी ऑफ इण्डिया, पृ. 706 5. पार्जिटर; ऐश्येंट इण्डियन हिस्टॉरिकल ट्रेडिशन, पृ. 170 6. ऋग्वेद, VII, 18, 6; गोपथ ब्राह्मण, I, 2, 9 बिब्ल्योथेका इण्डिका सीरिज़। 7. वृहत्संहिता, 14, 3
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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