________________
विषय का महत्व एवं अध्ययन स्रोत
17
दिगम्बर परम्परा के प्रमुख ग्रन्थों में हरिवंश पुराण, आदि पुराण, उत्तर पुराण, प्रतिष्ठा-सारोद्धार, प्रतिष्ठा सारसंग्रह आदि ग्रन्थों से जैन सांस्कृतिक अवदान के बारे में जानकारी मिलती है। __ इनके अतिरिक्त बौद्ध ग्रन्थों में घट जातक, दिव्यावदान, ललित विस्तार, मझिमनिकाय, महावत्थु, वेतवत्थु, अंगुत्तर निकाय, संयुक्त निकाय आदि ग्रन्थों से अमूल्य जानकारी मिलती है। इन प्रमुख ग्रन्थों से तत्कालीन समय की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक इतिहास के विषय में अमूल्य जानकारी उपलब्ध है। __ आधुनिक साहित्य में श्री प्रभुदयाल मीत्तल की दो पुस्तकें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। प्रथम ब्रज की कलाओं का इतिहास एवं द्वितीयतः ब्रज का सांस्कृतिक इतिहास। श्रीकृष्ण दत्त बाजपेयी की पुस्तक ब्रज का इतिहास प्रथम एवं द्वितीय खण्ड, डॉ. आर. सी. शर्मा की पुस्तक मथुरा संग्रहालय परिचय, ब्रज का प्राचीन जैन तीर्थ कंकाली स्थल विशेष प्रमुख है जिससे शूरसेन जनपद की कला एवं संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण ज्ञान उपलब्ध होता है। ___ इसी क्रम में डॉ. नीलकण्ठ पुरुषोत्तम जोशी की पुस्तक मथुरा कला, डॉ. हीरालाल जैन की पुस्तक भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, डॉ. ज्योति प्रसाद जैन की महत्वपूर्ण पुस्तक उत्तर प्रदेश और जैन धर्म, जैन कला और स्थापत्य, उत्तर प्रदेश में जैन धर्म का उदय और विकास दि जैन सोर्सेज ऑव दि हिस्ट्री ऑव ऐंश्येण्ट इण्डिया, विशेष उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। ___ डॉ. मारूतिनन्दन प्रसाद तिवारी की प्रमुख पुस्तक जैन प्रतिमा विज्ञान विशेष उल्लेखनीय है। डॉ. वी. के. शर्मा की पुस्तक ए स्पेशल रिफ्रेन्स विद मथुरा तथा डॉ. शैलेन्द्र कुमार रस्तोगी की पुस्तक लखनऊ संग्रहालय की जैन प्रतिमाएं विशेष उल्लेखनीय है। डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी की पुस्तक पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑव ऐंश्येंट इण्डिया (सप्तम संस्करण), डॉ. वी. ए. स्मिथ की पुस्तक दि जैन स्तूप एण्ड अदर