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शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास
मात्रा में प्राप्त हुए हैं, परन्तु स्तूप निर्माण के क्रम में देव निर्मित स्तूप का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में शूरसेन जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त प्रतिमाओं एवं स्थापत्य कला के क्रमागत विकास का भी उल्लेख किया गया है।
शूरसेन जनपद में जैन संस्कृति के अन्तर्गत सामाजिक-आर्थिक दशा के साथ ही साथ सांस्कृतिक उन्नति को भी उल्लिखित किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक आठ अध्यायों में विभक्त है जिसमें सूक्ष्म अध्ययन दृष्टव्य होता है। जैन पुरावशेष के छाया-चित्र भी प्रशंसनीय है। लेखन शैली प्रवाहशील है। यह पुस्तक विद्वत समाज एवं शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उज्जवल भविष्य की कामना के साथ।
जितेन्द्र कुमार (सेवानिवृत्त)
निदेशक, राज्य संग्रहालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत