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आभार
बुद्धकालीन षोड्स महाजनपदों में शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास कला एवं संस्कृति के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। शूरसेन जनपद की राजधानी मथुरा थी। कालान्तर में शूरसेन के स्थान पर मथुरा ही जन सामान्य की जिह्वा पर विद्यमान रही। इस शोध कार्य में शूरसेन जनपद का सूक्ष्म अध्ययन करने का प्रयास किया गया है जिसमें प्रतिष्ठित विद्वानों एवं आत्मीय स्वजनों का सहयोग अमूल्य रहा है।
सर्वप्रथम मैं अपने गुरु श्रेष्ठ डॉ. आर. के. पॉल, (सेवानिवृत्त), विभागाध्यक्ष (इतिहास), क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ । शोध कार्य के आरम्भ से समापन तक सतत उत्साहवर्द्धन एवं विभिन्न समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करने के लिए आपके प्रति कृतज्ञ हूं। साथ ही मैं गुरु माता श्रीमती जे. एल. पॉल के प्रति भी आभारी हूँ, जिन्होंने हर सम्भव मेरा सहयोग किया तथा सदैव मातृवत स्नेह प्रदान किया ।
राज्य संग्रहालय लखनऊ के निदेशक (सेवानिवृत्त) आदरणीय श्री जितेन्द्र कुमार के प्रति आभारी हूँ, जिन्होंने अमूल्य एवं विद्वतापूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान कर शोध कार्य को पूर्ण करने में सहयोग प्रदान किया । आपसे सदैव स्नेहिल सहयोग प्राप्त होता रहा है । आपने पुस्तक का पुरोवाक् लिखने की प्रार्थना स्वीकार किया फलत: कोटिश : धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ ।