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तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य
65 (घ) ताड़ पत्रीय टिप्पणी : इस ताडपत्रीय टिप्पणी का लेखक अभी तक अज्ञात है। यह ताड़पत्रीय टिप्पणी शोधार्थियों व अन्य पाठकों को तिलकमञ्जरी के कठिन स्थलों को समझने में सहायता करती है। तिलकमञ्जरी के भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर के संस्करण में संपादक एन. एम. कन्सारा ने इस ताड़पत्रीय टिप्पणी को प्रकाशित किया है।"
इस प्रकार तिलकमञ्जरी पर ये चार टीकाएँ प्राप्त होती हैं। इनमें से पराग टीका तिलकमञ्जरी के लगभग प्रत्येक पद की व्याख्या करती है और इसी कारण वह प्रत्येक पाठक के लिए अत्यधिक उपयोगी भी है। परन्तु खेद की बात यह है कि यह टीका अपूर्ण रूप से प्रकाशित हैं। अन्य टीकाएँ भी तिलकमञ्जरी के कठिन स्थलों की व्याख्या कर शोधार्थी की सहायता करती हैं अतः ये भी उपयोगी टीकाएँ है।
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वही, पृ. 255-347