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भारतीय विद्या प्रकाशन के श्री रमन जैन को भी मैं हार्दिक धन्यवाद अर्पित करता हूँ, जिन्होंने इसे पुस्तक के व्यवस्थित रूप प्रस्तुत करने में महती भूमिका का निर्वाह किया है।
अन्त में मैं पुनः अपने गुरुजी प्रो. देवेन्द्र मिश्र जी को प्रणामाञ्जलि अर्पित करता हूँ तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे आजीवन उनका आशीर्वाद मिलता रहे ।
(xii)
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विजय गर्ग