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________________ तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन ग्रहों की दशा-फलादि के विषय में उल्लेख प्राप्त होते हैं। होरा का उल्लेख आया है। अगस्त्य नामक नक्षत्र के उदय का उल्लेख आया है। मकर तथा मिथुन राशियों का संकेत दिया गया है । मृगशिरा नक्षत्र एवं सिंह राशि का उल्लेख किया गया है। स्वाति तथा चित्रा नक्षत्र से युक्त आकाश का वर्णन प्राप्त होता है । मकर, कुलीर (कर्क) तथा मीन राशियों का उल्लेख किया गया है। मेष, वृष, तुला तथा धनु राशियों एवं रोहिणी नक्षत्र का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त होता है। सूर्यग्रहण का उल्लेख किया गया है । सूर्यग्रहण के अवसर पर मदिरावती द्वारा भूमि-दान करने का उल्लेख किया गया है। सूर्य के दक्षिणायन होने का उल्लेख आया है । मकर संक्रमण से प्रारम्भ होकर मीन संक्रमण पर्यन्त छः मास तक सूर्य दक्षिणायन रहता है।10 पौराणिक कथायें तिलकमंजरी में पौराणिक कथाओं का भण्डार भरा पड़ा है जिससे धनपाल के पौराणिक साहित्य के गहन अध्ययन का पता चलता है। रामायण महाभारत एवं पुराण सभी के उद्धरण लिए गए हैं। कहीं कथाओं का निर्देश उपमाओं, उत्प्रेक्षाओं, विरोधाभास आदि अलंकारों के माध्यम से दिया गया है तो कहीं पौराणिक व्यक्तियों, देवी-देवताओं, राजाओं, साधुओं, अप्सराओं, राक्षसादि का केवल नाम मात्र से संकेत किया गया है। रामायण, महाभारत तथा पुराणों से सम्बन्धित 50 से भी अधिक व्यक्तियों, जिनमें राजा, देवी-देवता, साधु, 1. तिलकमंजरी, पृ 75, 76, 263 2. .."उर्ध्वमुख्यां होरायामग्रत एवं जातेन -वही, पृ. 76 3. वही, पृ. 25, 56 गगनमिव मकरमिथुनाध्यासित्म्, -वही, पृ. 204 5. ग्रहचक्रालंकृते मृगभाजिसिंहोभासिते नमस्तल इव......" -वही, पृ. 217 ___ शरनम इव स्वातिचित्रोदयान्दित ........ -वही, पृ. 371 7. मकरकुलीरमीनराशिसंकुलेन"......। -वही, पृ. 259 प्रमुख एव प्रवृत्तमेषस्य ततश्चलितसरोहिणीकदृषस्य क्वापि क्वापि विभाव्यमानतुलाधनुषः प्रभात एव प्रस्थितस्य तारकासार्थस्य""""। -तिलकमंजरी, पृ. 150 9. एष दशसीर"....."सूर्यग्रहणपर्वणि देवाग्रहारः। -वही, पृ. 182 10. दक्षिणायनान्तदिनकृत इव.... -वही, पृ. 202
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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