SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 50 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन तिलकमंजरीकथासार यह पंडित लक्ष्मीधर द्वारा वि०सं० 1281 अर्थात् ई० स० 1225 में लिखा गया था। ग्रन्थ के प्रारम्भ में कवि कहता है कि तिलकमंजरी कथा को संग्रहित करना ही इसकी रचना का उद्देश्य है तथा किंचित् वर्णन के साथ उसका सार प्रस्तुत किया जाता है । इसमें अर्थ व शब्द भी वही है, केवल उनके गुम्फन की विभिन्नता से ही सज्जन सन्तुष्ट हों।3।। तिलकमंजरीकथोद्धार अथवा तिलकमंजरी-प्रबन्ध यह ग्रन्थ अप्रकाशित है, किन्तु हस्तलिखित रूप में प्राप्त है । जिन रत्नकोश तथा हस्तलिखित प्रतियों में इसका नाम तिलकमंजरीप्रबन्ध है, किन्तु ग्रन्थ के प्रारम्भ में लेखक ने इसे तिलकमंजरी का कथोद्धार कहा है । इस ग्रन्थ के रचयिता के विषय में निश्चित मत नहीं है, न ही इसकी रचना का समय निश्चित है। इसका लेखक धर्मसागर के शिष्य पद्मसागर को बताया गया है, किन्तु उपलब्ध प्रमाण इसकी पुष्टि नहीं करते हैं, अत: यह सन्देहास्पद है ।' ___ इन तीन ग्रन्थों के अतिरिक्त अभिनव-बाण श्री कृष्णामाचार्य ने इस शताब्दी के प्रारम्भ में इस कथा का संग्रह कर “सहृदय" मासिक पत्र तथा पुस्तक रूप में भी प्रकाशित करके इस कथा को लोकप्रिय बनाया। इसके अतिरिक्त 1. लक्ष्मीधर, तिलकमंजरीकथासार, हेमचन्द्राचार्य ग्रन्थावली, 12, अहमदाबाद, 1919 2. वही 3. लक्ष्मीधर, तिलकमंजरीकथासार, पद्य 4, 5. 4. Velankar, H.D., Jinaratnakosa, Part I, B.O.R.I. 1944, p. 159. 5. (क) इति श्रीतिलकमंजरीप्रबन्धः संपूर्णमगमत्-कान्तिविजयजी भण्डार - हस्तलिखित ग्रन्थ सं० 1802, आत्माराम जैन ज्ञान मंदिर, बड़ौदा (ख) इति श्रीतिलकमंजरीप्रबन्धः संपूर्णः समाप्तानि-हस्तलिखित ग्रन्थ सं० 791, भंडारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना। 6. कुर्वे तिलकमंजर्याः कथोद्धारं प्रयत्नतः। -तिलकमंजरीकथोद्धार, पद्य 1 7. Kansara, N. M. (Ed), Tilakmanjarisara, Introduction, p. 31-32. __ मद्रासासन्नतिश्रीरंगाख्यनगरे वास्तव्यः श्रीमदभिनवबाणोपाधिधारिभिः कृष्णमाचार्यः सहृदयाख्ये स्वकीये मासिकपत्रे क्रमशः प्रसिद्धीकृत्तेयं कथा पृथगपि ग्रन्थाकारेण मुद्रापिता रूप्यकद्धयेन प्राप्यते ।। -वीरचन्द्र, प्रभुदास (स.) भूमिका, पृ० 2, तिलकमंजरीकथासार, अहमदाबाद, 1919 K
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy