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________________ तिलकमंजरी एक सांस्कृतिक अध्ययन सभी मन्त्रवादी. चातुवादी आदि कापालिक हों । अतः धातुवादियों का अपना अलग सम्प्रदाय था । वैखानस 238 तिलकमंजरी में वैखानसों का तीन स्थानों पर उल्लेख आया है । हरिवाहन मलयसुन्दरी से प्रश्न करता है कि वह प्रसिद्ध वैखानस आश्रमों को छोड़कर शून्य वन में स्थित जिनायतन में क्यों रह रही है ? प्रभातकाल में आश्रम की पर्णशालाओं में वृद्ध वैखानसों द्वारा गंगास्तोत का पाठ किये जाने का वर्णन है 3 मलयसुन्दरी को शान्तातप कुलपति के प्रशान्तवैराश्रम नामक वैखानसाश्रम में भेजा गया था, वैखानस उन साधुओं के लिए प्रयुक्त होता था जो गृहस्थ जीवन के बाद तपोवन में वानप्रस्थाश्रम व्यतीत करते थे, जिसमें स्त्रियाँ भी उनके साथ रहती थी । उत्तररामचरित में राजधर्म का पालन करने वाले तपोवन में वृक्षों के नीचे रहने वाले वृद्ध गृहस्थों को वैखानस कहा गया है । सम्प्रदायों के वर्णन में वैखानस साधुयों का निर्देश दिया गया है। हर्षचरित में वैष्णव धर्म को मानने वाले वैखानस साधुओं का उल्लेख है, 17 किन्तु तिलकमंजरी में वैदिक धर्म को मानने वाले वैखानस साधुओं का उल्लेख हैं । कुलपति शान्ततप के प्रशान्तवैर वैखानसाश्रम में प्रातःकाल में ही यज्ञ के धुएँ को दुर्दिन समझकर आश्रम का मयूर हर्ष से केकार व करता था । इस श्राश्रम में मलयसुन्दरी के हर्षचरित में 22 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. Handiqui. K K. Yasastilaka and India Culture, P.357 केन हेतुना विहाय विख्यातानि वैखानसाश्रमपदानि निर्जनारण्यवासिनी शून्यमेतज्जियतनमधिवससि.... तिलकमंजरी, पृ. 258 क्षीरनिद्रेण निकटदुमकुलायशायिना शुककुलेन वार:वारमावेद्यमानविस्मृतक्रमारिण प्राक्रम्यन्त पठितुमाश्रमोटजनिण्णैवृद्धवैखानसः प्राभातिकानि गंगास्तोत्र गीतकानि । वही, पृ. 358 तिलकमंजरी, पृ' 329 एतानि तानि गिरिनिर्झरिणीतटे वैखानसाश्रि ततरूरिण तपोवनानि येष्वातिथेयपरमाः शमिनो भजन्ति नीवारमुष्टिपचना गृहणी गृहाणि । भवभूति, उत्तररामचरित 1 / 25 अग्रवाल : वासुदेवशरण, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 111 वही, पृ. 195 प्रातः प्रारवेक्ष्य होमहुतमुग्धूम्यामहादुर्दिन हृष्टस्याश्रम बर्हिणस्य रसितैरायामिमिस्त्रा सिताः । तिलकजमंरी, पृ. 329
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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