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________________ तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन न्यास - समरकेतु के सैनिक प्रयाण के प्रसंग में न्यास का उल्लेख आया है । सैनिक प्रयाण के समय ग्रामीण कांसे के बर्तन, सूत, कम्बलादि गृह धन को बलाधिकृत के घर धरोहर के रूप में रख रहे थे । 1 लेखन - कला तथा लेखन-सामग्री 226 तिलकमंजरी में अनेक स्थानों पर ऐसे उल्लेख आये हैं, जिनसे तत्कालीन लेखन - कला लिपि, लेखन सामग्री, पत्र तथा पुस्तकों आदि के विषय में जानकारी मिलती है । लिपि के विषय में धनपाल ने तिलकमंजरी की प्रस्तावना में स्पष्ट लिखा है कि स्याही से स्निग्ध अक्षरों से युक्त लिपि भी अत्यधिक सम्मिश्रित होने पर प्रशंसनीय नहीं होती है । 2 लिपि की इसी विशेषता का, मंजीर द्वारा प्राप्त अनंग - लेख के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है । 3 लेखन-सामग्री:- पत्र लेखन अथवा पुस्तकें लिखने के लिए ताडबृक्ष की छाल जिसे ताडपत्र, ताडीपत्र, अथवा ताडपर्ण कहा जाता था, का प्रयोग किया जाता था । 1 मलयसुन्दरी को प्राप्त समरकेतु का पत्र ताडपत्र पर लिखो गया था - 15 समरकेतु की द्वीपान्तरयात्रा के अन्तर्गत ताडपत्र पर लिखी हुई पुस्तकों का वर्णन आया है । कालिदास के समय में उत्तरी भारत में लिखने के लिए भोजपत्र का प्रचार था, किन्तु बाण के समय में तालपत्र पर पुस्तिकाएं लिखने की प्रथा चल चुकी थी ।7 धनपाल के समय में भी असम प्रदेश की ओर भोजपत्र का प्रचार था, जैसाकि कामरूप देश की लौहित्य नदी के तट पर स्थित स्कन्धावार में निवास करने वाले कमलगुप्त के लेख से ज्ञात होता है । कमलगुप्त ने हरिवाहन को भोजपत्र पर लेख लिखा था । हर्षचरित में असम के कुमार भास्करवर्मा के उपायनों में अगरू पेड़ की छाल पर लिखी हुयी पुस्तकों का उल्लेख आया है । 1. गृहधनं च कांस्यपालिका सूत्रकम्बलप्रायं बलाधिकृतधामन्यबलाजनस्य न्यासीकुर्वद्भिः - वही, पृ. 120 2. वर्णयुक्ति दधानापि स्निग्धांजनमनोहराम् । नातिश्लेषघना श्लाघां कृर्तिलिपिरिवाश्रुते । 3. निरन्तरैरपि परस्परास्पर्शिभिः - तिलकमंजरी, पद्य 16 वही, पृ. 109 4. वही, पृ. 108, 134, 196, 291, 338, 349 5. दृढ़तरग्रन्थिसंयतमतिपृथुलताडीपत्रसंचारित सुरेखाक्षरलेखम् .. - वही, पृ. 6 वही, पृ 134 7. अग्रवाल वासुदेवशरण, हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ, 52 8. अजर्जरं भूर्जलेखम्, - तिलकमंजरी, अग्रवाल वासुदेवशरण, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ 52 9. 338 पृ. 375
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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