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________________ 222 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन अपने जो की रक्षा करने के लिए लोभी लढतों को रिश्वत दे रहे थे ।। गन्ने के खेतों को लूटे लिये जाने पर किसान दु:खी हो रहे थे, जिन्हें ग्रमीण दण्डित लुटेरों के किस्से सुनाकर आश्वासन दे रहे थे। इससे ज्ञात होता है कि लुटेरों को राजा की ओर से दण्डित किया जाता था तथा सेना के प्रयाण के समय खेतों की रक्षा के लिए रक्षक टुकड़ियां भी भेजी जाती थी। खेतों के समूह के लिए केदार, क्षेत्र शाकट वाट वन हेय शब्दों का प्रयोग हुआ है। पुण्ड्रे क्षु कलम, शालि, इक्षु तथा प्रीहि के खेतों का उल्लेख आया है । द्वीपान्तरों के प्रसंग में चन्दनवृक्षों की बाड़ लगाकर खेतों की रक्षा करने का उल्लेख भाया हैकृषि के लिए केवल वर्षा पर निर्भर न रहकर रहट का प्रयोग किया जाता था। रहट को अरघट्ट तथा घटीयन्त्र कहा जाता था । हर्षचरित में भी घटीयन्त्र का उल्लेख पाया है। इससे ज्ञात होता है कि सातवीं शती के पहले ही रहट का प्रचार हो गया था। खेती का प्रमुख साधन हल था। सीर तथा युग शब्दों का उल्लेख आया है ।' कृषकों की स्त्रियां भी उनके कार्य में हाथ बटाती थी। वे खेतों की रखवाली करने का कार्य करती थी। कामरूप देश के प्रसंग में शालि धान्य के खेतों में हाथ से ताली बजाकर सुग्गों को उड़ाने वाली गोपिकाओं का वर्णन किया गया है । 1. कैश्चिद्गृहयमाणयवसरक्षणव्यग्रैरर्थलोभादमिलषितलंचानां लंचयाला कुटिकानां क्लेशमनुभवद्मिः.... -वही, पृ. 119 2. कैश्चिद्........निगृहीतलुण्टाकवातवार्तया लुण्टितेषुवाटदुःखदुर्बलं कृषीवललोकमपशोकं कुर्वद्भिः ........ -तिलकमंजरी, पृ.119 . 3. कश्चिज्जवप्राप्तपरिपालकव्यूहरक्षितसुजातव हेयरनेकधानरेन्द्रमभिनन्दयभिः ___ -वही, पृ. 119 4. चन्दनविटपवृत्तिपरिक्षेपरक्षितक्षेत्रवलयानि.... -वही, पृ. 133 5. (क) मधुरता रघटीयन्त्रचीत्कारैः........ -वही, पृ. 8 (ख) चीत्कारमुखरितमहाकूपारघट्टा........ -वही, पृ. 11 (ग) जगदुपवनं सेक्त ....सुघटितकाष्ठस्य गगनारघट्टस्य घटीमालयेव, -वही, पृ. 121 6. कुपोदंचनघटीयन्त्रमाला......... -बाणभट्ट, हर्षचरित, पृ. 104 7. (क) युगायतं निजमेव मुजयुगलम्, __ -वही, पृ. 144 (ख) एष दशसीरसहस्रसमितसीमा, -वही, पृ. 181 8. उत्तालशालिवनगोपिकाकरतलतालतरलितपलायमान कीरकुलकिलकिलाखयन्त्रितपथिकयात्रम्........ -वही, पृ. 182
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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