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________________ तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति धनपाल ने एक अन्य प्रसंग में स्त्रियों को पुरुष को स्वभावतः सरल बताया है । 1 स्त्रियां मृत्यु का भी आश्रय ले लेती किन्तु अन्य पुरुष की अभिलाषा नहीं करती थी । 2 कुटिल प्रकृति का अपने चरित्र की 1. कुटिलस्वाभावास्त्रियः निसर्ग सरलः पुरुषवर्गः 2. अस्य च .... त्यागस्य, धनपाल ने स्त्री के रमणीय स्वरूप के अतिरिक्त स्त्री के कठोर रूप का भी वर्णन किया है । तिलकमंजरी तथा पत्रलेखा के प्रसंग में शस्त्रधारिणी अंगरक्षक स्त्रियों का वर्णन किया गया है । वनविहार के समय पत्रलेखा सैकड़ों अंगरक्षक स्त्रियों से घिरी हुई थी। इन स्त्रियों ने तलवारें धारणा की थीं। इनको इस कार्य के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता था ।4 मलयसुन्दरी से मिलने के लिए जब तिलकमंजरी उसके पास आती है तो वह भी अनेकों अंगरक्षक स्त्रियों से घिरी होती है उन अंगरक्षक स्त्रियों ने मोतियों के जड़ाव से युक्त सोने के कवच धारण किये थे तथा वे विभिन्न रंगों के रत्नों से जड़ित अतः चितकबरे रंग की कार्मरंगी ढालें लिए थीं । कार्मरंग ढालें कर्मरंग द्वीप में बनने वाली चमड़े की गोल ढ़ालें थी । कर्मरंग द्वीप । जिसे कादरंग या चर्मरंग भी कहते थे, हिन्देशिया का प्रमुख द्वीप माना जाता था । हर्षचरित में भी सुनहरे पत्रलता के अलंकरण से सज्जित कार्दरंग ढ़ालों का उल्लेख किया गया है ।8 डा. अल्टेकर ने भी राजकीय परिवारों में स्त्रियों को प्रशासकीय तथा सैनिक शिक्षा दिये जाने की पुष्टि की है । 4. 215 वही, पृ. 316 निजचारिवरक्षणार्थमेव केवलमध्यवसितस्य जिवितपरि - ही पृ. 306 3. घृतासिफलकाभिः परिवृता समन्तत .... ....अङ्गरक्षाधिकारनियुक्ताभिरङ्गनाभि 5. 6. 7. कहा है तथा रक्षा के लिए 8. 9. -वही पृ. 341 (क) साधितमहाप्र भावविधाविवृद्धपौरूषावलेपामिः वही पृ. 341 वही पृ. 361 (ख) प्रोढ़ विद्याबलविवृद्ध शौर्यावलेयामिः ... मुक्ताफलखचितवामीकरवर्ममिरनेकरत्न किर्मीरकार्मरङ्गा सिपट्टप्रणभ्यरमणीय वही, पृ. 361 भीषरणामिः........ तिलकमंजरी, पृ. 361 ....... तदन्यद्धीपसमुद्भवा मंजुश्रीमूल कल्प - कर्म रङ्गाख्यद्वीपेषु... उद्घृत अग्रवाल वासुदेवशरण, हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 159 वही, पृ. 159 Altekar A S. the position of Women in Hindu civilization p. 20-21.
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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