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________________ 204 विलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन ऋग्वेद का पुरुष सूक्त इसका प्रमाण है। अतः वैदिक काल से ही वर्ण-व्यवस्था का प्रादुर्भाव हो गया था। ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्य एवं शूद्र इन चार वर्गों में समाज को विभक्त किया गया था । ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य यह त्रिवर्ण सम्मिलित रूप से द्विजाति कहा जाता था। एक वर्ण शूद्र के लिए प्रयुक्त होता था। ब्राह्मण ___ धनपाल के समय में ब्राह्मणों को सर्वोच्च सामाजिक सम्मान प्राप्त था। राजा की सभा में ब्राह्मणों का विशिष्ट स्थान था। मेघवाहन के राजकुल में ब्राह्मणों की एक विशिष्ट सभा थी, जिसे द्विजावसरमंडप कहा गया है। समर केतु ने युद्ध के लिए प्रयाण करने से पूर्व समुद्र पूजा के समय अपनी सभा के ब्राह्मणों को बुलाया । तिलकमंजरी में ब्राह्मण के लिए द्विजाति 15, 19, 65, 66, 67, 114 115, 116, 117, 123, 127, 132, 331, द्विज 11, 44, 64 67, 122 351,406 श्रोत्रिय 11, 62, 63, 67, 260 द्विजन्मा 7, 63, 173, विप्र 7, 78, पुरोधस् 15, 65,78, 115, 117, पुरोहित 63,73 115, 123, देवलक 67, 321, नैमित्तिक 64, 190, 403 मौहूर्तिक 95 131, वेलावित्तक 193 दैवज्ञ 232 सांवत्सर 263 शब्द प्रयुक्त हुए हैं। ब्राह्मणों में पुरोहित का स्थान सर्वोच्च था । इसे उच्च राजकीय सम्मान प्राप्त था। राजा द्वारा राजसभा में ताम्बूल तथा कपूर दान अत्यधिक सम्मानजनक माना जाता था। पुरोहितों को समस्त वेदों का ज्ञाता प्रजापति के समान कहा गया है। पुरोहित को महारानी के वास भवन में जाने का भी अधिकार था।' यह राज्य के मांगलिक कार्यों को सम्पन्न कराता था। 1. Kane, P. V.; History of Dharmasastra, Vol. II, Part I. P. 47. 2. त्रिवर्णराजिना द्विजातिशब्देनेवोद्भासितः -तिलकमंजरी, पृ 348 3. कथितनिर्गमोद्विजावसरमण्डपानिजंगाम ....... -वही पृ.65 4. समाहूतसकल निजपरिषद्विजातिः....... .... -वही पृ. 123 5. ताम्बूलकर्पू रातिसर्जनविजितपुरोधःप्रमुखमुख्यद्विजातिः .. .... -वही, पृ. 65 6. अखिलवेदोक्तविधिविदा वेधसेवापरेण स्वयं पुरोधसा निवर्तितान्नप्राशनादिसकलसंस्कारस्य ....... -तिलकमंजरी, पृ 78 . 7. पुरोहितपुरः सरेषु विहितसांयतनस्वस्त्ययनकर्मस्वपक्रान्तेषु, -वही पृ. 72
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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