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तिलकमृजरी, एक सांस्कृतिक अध्यय
(39) सन्तानक - 57, 152, 211, देववृक्ष विशेष
(40) fargar-297
( 41 ) शिरीष - 105, 106, 315, 338 ।
( 42 ) हरिचन्दन - देववृक्ष विशेष 405
(43) रोध - 211
(44) farafa-52, 297 | वृक्ष (फल (फल)
(1) श्रामलक - 67, 234 । आमलकीफल 43, आंवलों की उपमा मोटे-मोटे मोतियों से दी जाती है 43 | सिर में लगाया जाता था । 67 । तिरछे गिरे हुए आंवलों से वनभूमि तिलकित सी हो रही थी- निपतितमिरश्चीनामलक तिलकित क्षितित लामिः - 234 |
125, 255 । पके आंवला स्नानोपरान्त
(2) आम्र - 97, 297 चूत - 77, 211, 215, 135, 163, 194 । 61, 106, 135, 261, 270, 297, 301, 370, 405 I
(3) इक्षु - 15, 119, 304 गन्ना
पुन्ड्रेक्षु - 40, 182, 304, विशेष प्रकार का गन्ना - ( 4 ) कवकोलक - 210
(5)-28, 106, 137, 212, 248, 276, 241, 260, 227, 305, 311 रम्भा - 9, 164, 213 । उरुदण्ड की उपमा रम्भा स्तम्भ से दी जाती है 164 । राजकदली-211।
( 6 ) कपित्थ - 305 | कैंथ नामक फल ।
(7) किपाक - एक प्रकार का विषैला फल । मलयसुन्दरी ने आत्महत्या करने के विचार से किपाक वृक्ष का फल खा लिया था
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( 8 ) जम्बीर - 211 । जम्बीरी नींबू
( 9 ) जल - जम्बू – 105, 151
( 10 ) दाडिमी -- 211, 215, 238, 2370 कारक -- 211
( 11 ) नाग--210, 370
( 12 ) नारंग -- 210, 260, 305 +
(13) नारिकेल - नारियल 211, 137, 305
( 14 ) पनस - कटहल 137, 200, 211, 260 1