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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
मृगपति 183,398 । मृगाराति 88, 240 मृगाधिप 208 । सिंह 5,152,204, 400 । हरिवाहन को सिंहशावक के समान बलशाली उपणित किया गया है ।। मृगेन्द्र 215, 2171
(4) कोल 200, 210, 233, 238। वराह 115, 116, 122, 183, 184, 208 पौत्रि 235 । इसका भोजन कसेरू नामक तृण विशेष बताया गया है। इसकी पङ्कक्रीड़ा का वर्णन किया गया है 233, 208 ।
(5) कोलेयक 117-कुक्कर । सारमेय 200 । (6) क्रमेलक 118 करम 202
(7) गज 80, 84, 86, 87, 124, 181, 197, 209, 115, 240, 244, 386, करि 15, 83, 86, 87, 89, 95, 97, 118, 182, 184, 200, 209, 243, 246, 386। द्विरद 93, 118, 152, 184, 202, 355, 366, 392, 409 । दन्ती 5, 119, 184, 185, 249, 251 । हस्ती 201। बारण 68, 74, 184, 186, 216, 241, 243, 244, 248, 323, 348, 367, 387, 420 । सिन्धुर 5, 61, 105, 426 । कुम्भी 16 । अनेकप 15, 92, 233 । करेणु 84, 88, 118, 206, 291, 330, 323 । सामाज । द्विप 83, 83, 87, 189, 257, 363, 408। इम 84,87, 116, 202, 275। मातंग 84,89, 406। नाग 91, 216, 260 मृग 189 । करटी 190, 241 । स्तम्बेरम् 234 । आरण्यक 235 । कुजर 243 । वेगदण्ड 233, 387 ।
(8) चमर 211, 183 । (9) ऋक्ष 183,234, । अच्छमल्ल 2001
(10) तुरंग 80, 84, 85, 89, 97, 188, 198, 323, 388, 405 । तुरग 61, 85, 117, 188, 207, 389, 419, । अश्व 85, 86, 87, 89, 143, 187, 201, 207, 248, 418, 426 । वाजि-83, 87, 89, 119, 124, 152, 184, 187, 419 । सप्ति 82, 88, 207 । हरित 66। हय 68, 86, । रथ्यः 93, । वाह - 242, 248 ।
(11) धेनु-58 । कामधेनु नामक स्वर्गीय गो का वर्णन किया गया है 58,
1. केसरिकिशोरस्येव........
-वही, पृ. 79 2. दृश्यमानार्धचर्वितकसेरूग्रन्थिकथितकोलयूथप्रस्थानेन............
-तिलकमंजरी, पृ.210