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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन 185 पहना जाता था । पुरुषों द्वारा कानों में कमल पहनने के उल्लेख भी मिलते हैं। कर्णपूर कर्णपूर का तिलकमंजरी में पांच बार उल्लेख आया है। किरातस्त्रियां कणिकार का कर्णपूर बनाती थीं। हरिवाहन में शिरीषपुष्प का कर्णपूर धारण किया था । चन्द्रमा को चम्पक पुष्प के कर्णपूर के समान कहा गया है। शुक सदृश नीलवर्ण के प्रार्द्र शवल प्रवाल के कर्णपूर का उल्लेख किया गया हैं । अन्यत्र लवंगपल्लव के कर्णपूर का वर्णन किया गया है।, जिसे स्त्रियां अपने नाखूनों की कोरों से चुनती थीं। बन्तपत्र .. तिलकमंजरी ने कानों में कुमुदिनी कन्द के दन्तपत्र पहने थे ।10 प्रालम्ब हरिवाहन ने धूलीकदम्ब पुष्पों का प्रालम्ब पहना था।11 प्रालम्ब घुटनों तक लटकने वाली माला को कहते थे। माला सीधी गले में न पहनकर कंधे से कमर की ओर तिरछी भी पहनी जाती थी, जिसे वैकक्ष्यकस्रगदाम कहा जाता था।12 तिलकमंजरी ने चम्पक की वैकक्ष्यकमाला धारण की थी।13 1. शशिहरिणहरितरोचिका शवलप्रवालेन कल्पितकर्णावतंस.. -वही पृ. 107 तथा 311 2. नाकमन्दाकिनीनीलोत्पलेन चुम्बितकश्रवणपार्श्वम्, -वही, पृ. 37 3. आन्दोलितश्रवणोत्पलगलत्परागपांशुल... ' -वही पृ. 233 4. वही, पृ. 105, 261, 268, 297. 353 5. किरातकामिनीकर्णपूरोपयुक्तकणिकारे........ -वही पृ. 297 6. शिरीषतरुकुसुमकल्पितकर्णपूर... -तिलकमंजरी, पृ. 105 दलितचम्पककर्णपूरमनुकरोति, -वही, पृ 261 शुकांगनीलसजलशवलप्रवालकल्पितकर्णपूरा .. -वही, पृ. 268 9. कर्णपूराशया करनखाग्रेलवंगपल्लवानगृहीत्,' -वही, पृ. 353 10. श्रवणपाशदोलायमानकुमुदिनीकन्ददन्तपत्रा -वही पृ. 368 11. धूलीकदम्बप्रालम्ब... -वही, पृ. 105 12. वही, पृ. 36 13. द्विगुणितप्रलम्बचम्पकप्रालम्बवैकक्ष्यका... -वही, पृ. 247
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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