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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन कुन्तलदेश की स्त्रियों के कुन्तलकलाप की कालिमा से वनराजि की उपमा दी गयी है । 1 कबरो 183 कबरी केश- रचना का दो बार उल्लेख है ।" कबरी के लिए केशवेश शब्द भी आया है । शबरों के भय से सोने को भीतर रखकर तथा कसकर बांधे गये केशवेश वाले पथिक का उल्लेख किया गया है । वेली यह द्रविड़ स्त्रियों की विशेष केशरचना थी, जो पीठ पर झूलती रहती थी 14 मौलिबन्ध मौलिबन्ध का दो बार उल्लेख है । " मेघवाहन का मौलिबन्ध हाथ से छूटकर कंधे पर गिर गया था । पुष्प-प्रसाधन तिलकमंजरी में पुष्प-प्रसाधनों का प्रचुर मात्रा में उल्लेख हुआ है । प्राचीन भारत में पुष्पों, पत्तों तथा मंजरियों से बालों तथा शरीर के अन्य अवयवों को सजाने की कोमल कला अत्यधिक विकसित थी । स्त्री तथा पुरुष दोनों पुष्प-पत्रों से श्रृंगार करते थे । तिलकमंजरी में पुष्प एवं पत्तों के निम्नलिखित आभूषणों का उल्लेख है । शेखर तिलकमंजरी में शेखर का 16 बार उल्लेख किया गया है ।7 बालों को संवारकर उसमें पुष्पों की माला बांधी जाती थी जिसे शेखर, शिरोमाला, कुसुमा पीड गण्डमाल, मुण्डमालादि कहा जाता था । मालती पुष्पों से ग्रथित माला के - वहीं, पृ. वही, पृ. 261 1. निरन्तरा मिस्तरूणकुन्तली कुन्तल कलापकान्तिमिः.. 2. तिमिरभरमिव क्षेप्तुकामाः कबर्याम, 3. त्रयी भक्तेनेव गाढांचित हिरण्यगर्भकेशवेशेन देशिकजनेन .... - वही, पृ, 200 4. पृष्ठप्रेङ्खद्वलीनां ......... वही, पृ. 261 5. वही, पृ. 53, 233 6 202 करविमुक्तमोलिबन्धनिरालम्ब कन्धरे....... -वही, पृ. 53 7. तिलकमंजरी, पृ. 34, 37, 38. 73, 79, 105, 107, 115, 125, 152, 165,,178, 198 232, 237, 377
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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