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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन 177 उमिका तिलकमंत्ररी ने मरकतमणि की उर्मिका धारण की थी। एक अन्य स्थान पर रत्नोमिका का उल्लेख है । अंगुलीयक गन्धर्वक ने नीले, पीले तथा पाटल वर्ण के रत्नों से खचित अंगुलीयक धारण की थी। मलयसुन्दरी ने पद्मराग जड़ित मंगूठी पहनी थी। बालारुण नामक दिव्य रत्नांगुलीयक का वर्णन किया गया है। अन्यत्र भी अंगुलीयक का वर्णन है। कटि के मामूषण कटि के आभूषणों में कांची, मेखला, रसना तथा सारसन का उल्लेख है । ये शब्द समानार्थक रूप में प्रयुक्त हुए हैं, यद्यपि इनमें परस्पर भेद था, किन्तु यहां इनका भेद ज्ञात नहीं होता। ऐसा जान पड़ता है कि मेखला डोरी युक्त होती थी, क्योंकि मेखला गुण शब्द का उल्लेख पाया है ।' ज्वलनप्रभ ने पद्मराग तथा इन्द्रनील मणियों से खचित मेखला धारण की थी। पृथ्वी को सात समुद्रों वाली रशना से युक्त कहा गया है । रशना के लिए रसना तथा रशना दोनों शब्दों का प्रयोग किया गया है ।10 मलयसुन्दरी के जन्मोत्सव पर नृत्य करती हुई गणिकाओं की कांचियां, मद से विचलित पादक्षेप के कारण क्षुभित हो रही थी।1 तिलकमंजरी ने मरकत, इन्द्रनील तथा कुरूविन्द मणियों से जड़ित कांची 1. वही, पृ. 247 2. वही, पृ. 356 3. वही. पृ. 166 4. वही, पृ. 160 5. तिलकमंजरी, पृ. 61 6. वही, पृ. 18, 63, 164, 404 7. (क) विततमेखलागुणपिनद्धमच्छघवलम् ........ -वही, पृ. 54 8. (ख) मेखलागुणस्खलनविशृखलेन........ -वही, पृ. 158 4. पद्मरागेन्द्रनीलखण्डखचितस्य मेखलादाम्नः....-- वही, पृ. 36 9. सप्ताम्बुराशिरशनाकलापां काश्यपीम्........... -वही, पृ. 16 10. वही, पृ. 5, 16 11. वही, पृ. 263
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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