SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 176 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन मुना के मामूषण भुजा के आभूषणों में केयूर तथा अंगद के नाम आये हैं । अंगद लक्ष्मी ने नीलमणिमय अंगद धारण किया था ।। केयूर केयूर का चार बार उल्लेख है। ज्वलनप्रभ ने पद्मराग जड़ित केयूर पहना था । समरकेतु द्वारा भी पद्मरागखचित केयूर धारण किये जाने का उल्लेख कलाई के आभूषण कलाई के आभूषणों में कंकण, वलय तथा कटक का उल्लेख है। गन्वर्धक ने दोनों हाथों में स्वर्ण के वलय पहने थे । मलयसुन्दरी ने हीरों से जड़ित स्वर्णकंकण पहने थे । अन्यत्र भी मणिवलय, रत्नवलय, कांचनवलय का उल्लेख पाया है। द्वीपान्तरों के निषादधियों ने काले लोहे के वलय धारण किये थे । कटक का अन्यत्र भी उल्लेख है।1 रत्नकटक तथा स्वर्ण-कटक का भी उल्लेख है। अंगुलियों के मामूषण तिलकमंजरी में अंगूठी के लिए अंगुलीयक तथा उमिका ये दो शब्द आए हैं । 1. स्फुरत्तारनीलांगवम्, -वही पृ. 55 2. वही, पृ. 37, 101, 311, 404, 3. वही, पृ. 37 4. अतिबहलकेयूरपद्मरागांशु "। -वही पृ. 101 5. प्रकोष्ठहारकवलयवाचालस्य........ -तिलकमंजरी, पृ. 165 6. अविरलप्रत्युप्तवज्रोपलगणःकनककंकणेः....... -वही, पृ. 160 7. वही, पृ. 17, 330 8. वही, पृ. 54, 307 9. वही, पृ. 80, 356 10. काललाहकटकान्यपि ........ -वही, पृ. 134 11. वही, पृ. 311, 404 12. विस्फुरद्रलकटककान्तं बाहुमिव क्षीरोदस्य दीर्घबाहुना सुवर्णकटकोद्भासितेन -वही, पृ. 276
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy