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________________ 166 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन था। प्राचारांग की टीका में इसकी व्याख्या है पट्टसूत्र 'निष्पन्नानि' अर्थात् पट्टसूत्र से बने वस्त्र बृहदकल्पसूत्रभाष्य में भी इसका उल्लेख रेशमी कपड़ों के अन्तर्गत किया गया है। मम्बर मेघवाहन के व्रत-काल में मदिरावती ने चन्द्रिका के समान शुभ्र अम्बर धारण किया था। अम्बर सूती वस्त्र को कहा जाता था । पहनने के वस्त्र इन सामान्य वस्त्रों के वर्णन के अतिरिक्त धनपाल ने स्त्री एवं पुरुष दोनों की अनेक पोशाकों का उल्लेख किया है। नीचे इनका विस्तार से वर्णन किया जाता है। उत्तरीय अमरकोश में उत्तरीय अथवा दुपट्टे के लिए पांच शब्द आये हैंप्रावार, उत्तरासंग, बृहतिका, संव्यान तथा उत्तरीय । तिलकमंजरी में उत्तरीय का उल्लेख तीस से भी अधिक बार हुआ है। उत्तरीय स्त्री एवं पुरुष दोनों की पोशाक थी । मदिरावती ने अपने उत्तरीय के पल्लू से सिंहासन की धूल साफकर विद्याधर मुनि को बिठाया । मेघवाहन ने उत्तरीयपल्लव से मुह ढककर लक्ष्मी की मूर्ति का सिंचन किया ।' विजयवेग अपने उत्तरीय में मेघवाहन के लिए उपहार छिपाकर लाया था। मेघवाहन ने चन्द्रातप हार को उत्तरीय के अंचल की छोर 1. अनुयोगद्वारसूत्र, 37, उद्धृत, अग्रवाल, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 79 2. मोतीचन्द्र, प्राचीन भारतीय वेशभूषा, पृ. 148 3. तिलकमंजरी, पृ. 71 4. अमरकोष, 3/3/181 5. तिलकमंजरी, पृ. 25, 34, 37, 45, 63, 81, 79, 107, 109, 131, 155, 173, 190, 192, 207, 229, 250, 259, 265,277, 301, 306,312, 314, 334, 342, 369, 378,417 । 6. मदिरावत्या निजोत्तरीयपल्लवेन प्रभष्टरजांसि हेमविष्टरे न्यवेशयत् । -तिलकमंजरी, पृ. 25 7. उत्तरीयपल्लवेन मुद्रितमुखः, -वही, पृ. 34 8. उत्तरीयपटगोपायितोपायनेन' -वही पृ. 81
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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